एम्स जोधपुर में टोटल लेप्रोस्कोपिक राइट हेपेटेक्टोमी की गई
50 वर्षिय पुरुष की सफलतापूर्वक मैजर लिवर सर्जरी की गई।
जोधपुर। एम्स जोधपुर के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में 50 वर्षिय पुरुष की सफलतापूर्वक टोटल लेप्रोस्कोपिक राइट हेपेटेक्टोमी (मैजर लिवर सर्जरी) की गई। ऐसी जटिल सर्जरी एम्स के डॉक्टरों द्वारा की है।
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. पीयुष वार्ष्णेय ने बताया कि 50 वर्षिय पुरुष एक महीने से पेट के दर्द से परेशान था। एम्स में सिटी स्केन एवं एमआरआई होने के बाद मरीज के दाएँ लिवर में लगभग 8 सेमी की गाँठ का पता लगा। सम्पूर्ण जाँचों में पता लगा कि मरीज म्युसिनस सिस्टिक नियोप्लाज्म ऑफ लिवर नामक बीमारी से ग्रसीत है। मरीज की सर्जरी 12 एमएम के तीन चीरे और 5 एमएम के तीन चीरे लगा के पूर्ण की गई। लगभग 10 घंटे चली सर्जरी में 350 एमएल ब्लड लॉस हुआ और मरीज को सफलतापूर्वक बिना किसी पोस्ट ऑपरेटिव कॉम्प्लिकेशन के साथ चौथे दिन अस्पताल से छुट्टी दे कर घर भेज दिया।
एम्स के डॉक्टरों का इस तरह का ऑपरेशन राजस्थान में सरकारी क्षेत्र में पहली सर्जरी है। अमुमन पेट के ऑपरेशन में लिवर सर्जरी सबसे जटिल मानी जाती है और सामान्यतः इस तरह की सर्जरी को पेट में बड़ा चीरा लगा कर किया जाता है। लेप्रोस्कोपिक विधि से पूर्ण की गई इस सर्जरी में मरीज को ऑपरेशन के बाद दर्द बहुत कम होता है। और सांस की तकलीफें कम होने के कारण अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है।
एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. माधवानंद कार ने गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की टीम को बधाई दी और बताया कि अब एम्स में सभी प्रकार के आधुनिक (हिपेटो-पैनक्रिएटो-बिल्येरी) सर्जरी दूरबीन विधि (लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक) से की जाती है। डॉ. पीयुष वार्ष्णेय, डॉ. वैभव वार्ष्णेय, डॉ. सुभाष सोनी, डॉ. सेल्वाकुमार बी, डॉ. लोकेश अग्रवाल एवं निश्चेतना विभाग के डॉ. दर्शना राठौड़, सिनियर रेजिडेन्ट – डॉ. विशु जैन, डॉ. साईंकृष्णा, डॉ. शेफाली जैन। नर्सिंग टीम – देवेन्द्र, उम्मेद, दामोदर, पुजा, सुरेश एवं रामदयाल द्वारा ऑपरेशन किया गया।