शांति का मूल स्रोत आध्यात्म व सत्संग: संत
सिरोही। युवा संत कृपाराम महाराज ने जीवन में सत्संग व आध्यात्म का महत्व बताते हुए कहा कि इस विधा से संस्कारों की जड़ों को सींचा जा सकता है विकसित देशों ने विकास के मामले में हमसे भले बढ़त बनाई हो, लेकिन भारत के लिए गौरव की बात है कि शांति का मूल स्रोत आध्यात्मा व सत्संग हमारे देश में भरपूर है। यह उदगार युवा संत ने व्यवसाई एवं समाजसेवी रघुभाई माली के स्वास्थ्य लाभ की जानकारी लेने के मौके पर उनके निवास पर भेंट के दौरान परिवारजनों एवं भक्तों के समक्ष व्यक्त किए। साधक लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि पिछले दिनों शहर के व्यवसाई रघुभाई माली के मित्र परेशभाई रावल के आकस्मिक एक सड़क दुर्घटना में निधन के बाद सदमे के फलस्वरुप स्वास्थ्य बिगड़ने पर शहरवासियों समेत उनके शुभचिंतकों, मित्रों एवं उनसे जुड़े संत समाज, राजनीतिज्ञ आदि ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए कामना की। इसकी जानकारी मिलने पर गुरुवर राजाराम महाराज के साथ संत कृपाराम महाराज ने रघु भाई माली के निवास पर पहुंचकर उनकी कुशलक्षेम जानी। इस अवसर पर उपस्थित जनों को अपने मुखारविंद से अमृतवाणी का रसास्वादन करवाते हुए संत कृपाराम महाराज ने जीवन में सत्संग का महत्व समझाते हुए तुलसीदास की पंक्तियां ष्तुलसी संगत साधु की कटे कोटि अपराध को सुनाकर बताया कि सत्संग का यह करिश्मा है कि प्रभु भक्ति से जीवन रूपी मैली चादर भी साफ हो जाती है इसलिए व्यक्ति के जीवन में सत्संग जरूरी है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों ने विकास के मामले में हमसे भले बढ़त बनाई हो, लेकिन हम भौतिक विकास में पिछड़ने के बावजूद शांति का मूल आधार स्तंभ आध्यात्म व सत्संग हमारे पास अकूत है और इसके माध्यम से हम भवसागर पार हो सकते हैं। संतों ने सभी को संमार्ग की ओर बढ़ने का आवाहन किया। उन्होंने रघुभाई को सादगी, सरलता का व्यक्तित्व और जीवट व संकल्प के धनी एक कर्मवीर पुरुषार्थी बताया। संतों से बातचीत के दौरान रघुभाई ने अपने स्वास्थ्य की जानकारी दी। इस मौके पर भुराभाई जोलपुर, पोपटलाल माली करोटी, ताराराम माली करोटी, रणछोड़भाई अनादरा, मोहनलाल माली, छोगाराम माली, हिमांशु माली, श्रवण खंडेलवाल, भंवरलाल माली, संजय माली, लोकेश खंडेलवाल, मुकेश खंडेलवाल समेत बड़ी संख्या में माली देवड़ा परिवार के लोग मौजूद थे।
संगति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर रहता है
संत कृपाराम महाराज ने दिवंगत परेश भाई रावल एवं रघु भाई माली की मित्रता और उनकी घनिष्ठता के बारे में बताया कि प्रिय मित्रों की संगति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर भी रहता है और यही सत्संगी प्रवृत्ति का प्रभाव तथा सहयोग और सहिष्णुता के गुण दोनों ही मित्रों में कूट-कूट कर भरे हैं।
देवड़ा परिवार में सत्संग का व्यापक प्रभाव
संतों के आगमन पर परिवार की महिलाओं ने मंगल गीत गाए और उनका भावभीना स्वागत किया तथा घर में पगलिए करवाएं। परिवार की महिलाओं, पुत्रवधू, पुत्री लता, सुमन आदि ने भजन म्हारा सतगुरु आंगन आया म्हे वारी जाऊं रे, म्हारी निर्मल हो गई काया महे वारी जाऊं रे.. आदि संत स्वागत में भजन सुनाए।