आफरी में मनाया मरू प्रसार रोक दिवस
जोधपुर। भारत में लगभग 96.4 बिलियन हैक्टेयर भूमि मरूस्थलीकरण एवं अन्य कारणों से खराब हो चुकी है तथा यह हमारी खाद्य सुरक्षा के लिए एक चिन्ताजनक एवं खतरे की सूचना है क्योंकि इससे उत्पादकता में कमी एवं अन्य परिणाम आजीविका हेतु उपयुक्त नहीं हैं, यह उद्गार मरू प्रसार रोक दिवस 2021 पर आयोजित कार्यक्रम में शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) जोधपुर के निदेशक एमआर बालोच ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में व्यक्त किए।
बालोच ने बताया कि भारत सरकार ने 2030 तक 29 बिलियन हैक्टेयर भूमि को पुन: उपजाऊ बनाने का लक्ष्य रखा है जिसे वृक्षारोपण करके, जल एवं मृदा संरक्षण द्वारा तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावो को कम करके हासिल किया जाएगा। उन्होंने इस वर्ष की थीम रिस्टोरेशन लैण्ड रिकवरी की बिल्ड बैटर विथ हैल्थी लैण्ड पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आफरी के पूर्व निदेशक डॉ. त्रिलोक सिंह राठौड़ ने भू क्षरण के विभिन्न कारणों पर प्रकाश डालते हुए स्थानीय प्रजातियों एवं नवीन तकनीकी के साथ आमजन की भागीदारी द्वारा स्वस्थ एवं उपजाऊ भूमि के निर्माण पर बल दिया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता आफरी की पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रंजना आर्या ने लवणीय भूमि के पुनरूद्धार पर अपने व्याख्यान में राजस्थान एवं गुजरात में किए गए शोधकार्यो की जानकारी देते हुए बताया कि लवणीय भूमि या क्षारीय भूमि का परीक्षण करने के पश्चात् ही जिप्सम अथवा अन्य उपचार देना चाहिए। उन्होनें विभिन्न लवणीय प्रजातियों एवं मृदा उपचार द्वारा लवणीय भूमि के पुनरूद्धार पर तथ्यों के साथ व्याख्यान दिया। कार्यक्रम के आरम्भ में अपने स्वागत भाषण में आफरी के समूह समन्वयक (शोध) डॉ. जी सिंह ने मरू प्रसार दिवस की महश्रा एवं वश्र्रमान में स्थिति पर आंकड़े प्रस्तुत करते हुए इस हेतु मिलजुलकर कार्य करने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन आफरी के विस्तार प्रभाग की प्रभागाध्यक्ष अनिता, आफरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. तरूण कान्त ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अनिता ने किया। मरू प्रसार रोक दिवस पर आफरी द्वारा कृष्णा नगर पाली रोड में दो सार्वजनिक पार्क में कृष्णा नगर सोसायटी के सदस्यो के साथ विभिन्न प्रजातियों के 60 पौधे रोपे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सेवानिवृत मुख्य वन संरक्षक बीआर भादू ने वृक्षारोपण एवं इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए अधिकाधिक वृक्षारोपण कने हेतु आमजन से आग्रह किया। कार्यक्रम में सहयोग डॉ. बिलास सिंह, धानाराम, राजेश मीणा, अनिल सिंह चौहान, रेखा दाधीच, सादूलराम एवं कैलाश शर्मा ने किया।