छोटे हाथों की बड़ी सोच-चिराग बारुपाल ने दिव्यांगों के लिए बनाया प्रेरक मॉडल

पाली । श्रीमती चीमाबाई संचेती राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, पैकेज कॉलोनी पाली में आयोजित 58वें जिला स्तरीय विज्ञान मेले में दीप विद्या आश्रम के कक्षा 6 के छात्र चिराग बारुपाल ने अपनी अद्भुत सोच और संवेदना से सबका दिल जीत लिया।

जूनियर वर्ग में प्रस्तुत चिराग के मॉडल “मोबाइल चेयर” ने न केवल तकनीकी दृष्टि से प्रभावित किया, बल्कि समाज में दिव्यांगजनों के प्रति मानवीयता और सहयोग की नई मिसाल भी पेश की।

विज्ञान मेले में जब दर्शकों ने इस बाल वैज्ञानिक द्वारा तैयार की गई “मोबाइल चेयर” देखी, तो हर कोई चिराग की समझदारी और संवेदनशील सोच की सराहना करने से नहीं थका।

इस नवाचार ने यह साबित कर दिया कि छोटी उम्र में भी बड़ा बदलाव लाने का हौसला किया जा सकता है।

 

“जो सोच ले इंसान की भलाई के बारे में,

वो उम्र से नहीं, दिल से बड़ा होता है,

चिराग ने दिखा दी राह नई सबको,

के इंसानियत ही असली रोशनी होता है।”

 

चिराग के इस अनोखे मॉडल ने उन्हें जिले में द्वितीय स्थान दिलाया, लेकिन असली जीत उनकी संवेदनशील सोच की रही। उन्होंने यह दिखा दिया कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं, बल्कि यह मानवता की सेवा का माध्यम भी बन सकता है।

 

मेले में आए अनेक शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों ने चिराग के मॉडल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह बच्चा केवल तकनीकी समझ नहीं रखता, बल्कि उसके भीतर मानवता की गहरी लौ जल रही है ।

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग विशेषज्ञ श्री वैभव भंडारी ने मॉडल देखकर कहा कि इस बच्चे की सोच को सलाम है जिसने हमारे जैसे दिव्यांग लोगों की समस्याओं को समाज तक पहुंचाने का कार्य किया है ।

राजस्थान शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उदयपुर की ओर

द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले को ₹400 और का पारितोषिक और

पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक श्री खींवाराम जी चौधरी और मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्रीमान दिलीप जी करमचंदानी द्वारा चिराग को पारितोषिक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया ।

 

“छोटे कदमों से भी मंज़िल बदल जाती है,

अगर नीयत सच्ची हो तो मुश्किल पिघल जाती है,

चिराग की सोच ने ये कर दिखाया,

दिव्यांगता नहीं, संवेदना ही असली ताकत कहलाती है।”

 

चिराग बारुपाल का यह मॉडल इस बात का सजीव प्रमाण है कि समाज में परिवर्तन की शुरुआत किसी बड़ी संस्था से नहीं, बल्कि एक छोटे से बच्चे की सच्ची भावना से भी हो सकती है।

दीप विद्या आश्रम का यह नन्हा “चिराग” सचमुच मानवता के मार्ग को नई रोशनी दे रहा है।

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