राम मंदिर निर्माण के लिए कराए गए थे 3 करोड़ राम नाम के जप (विजय मंत्र): साध्वी प्रियंवदा

जोधपुर। अयोध्या में राम मंदिर बनने को लेकर पूरे देश भर में उत्साह, उमंग और खुशी का माहौल है, राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी सूर्य नगरी जोधपुर में भी 22 जनवरी को राम मंदिर के शुरू हो जाने को लेकर खुशी का सैलाब उमड़ रहा है मगर इसी बीच साध्वी प्रीति प्रियंवदा ने अयोध्या से निमंत्रण पत्र मिलने के बाद इस बात पर सुकुन जताया हैं कि सभी की मेहनत रंग लाई और राम मंदिर आमजन के लिए समर्पित हो रहा है। मंदिर निर्माण रूपी इस यज्ञ में किए गए 3 करोड़ राम नाम के जप (विजय मंत्र)भी आहुति के रूप में काम आए हैं।

प्रीति प्रियंवदा ने अपनी 10 वर्ष की उम्र के दौरान की घटना के बारे मे बताया कि जब वह 10 वर्ष की उम्र की थी तब 1990 की घटना जिसमें राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान बलिदान हुए कारसेवक प्रोफेसर. महेन्द्रनाथ अरोड़ा उन्होने बचपन से स्नेह दिया और उन्ही के सानिध्य में वह खेला करती थी और बडी भी हुई। जब उनका बलिदान देखा तब उस समय उन्ही के चरणों की रज उठाकर राम मंदिर बनाने को लेकर जो भी जरूरी होगा वह करूंगी यह संकल्प लिया था। 10 वर्ष की थी, तब पता नही था क्या करना है, राम जी क्या करवाएंगे, महेन्द्र नाथ की दिव्य आत्मा ने शक्ति दी और राम मंदिर निर्माण के लिए 13 करोड श्री राम जय राम जय जय राम का संकल्प पूरा करवाया।

राम मंदिर भारत की अस्मिता का प्रतीक :
उन्होंने बताया कि, राम मंदिर भारत की अस्मिता का सबसे बड़ा प्रतीक है, मंदिर का निर्माण वर्षों का स्वप्न है, शास्त्रों में अयोध्या को भारत का मस्तक बताया गया है और राम मंदिर उस पर तिलक है। 570 वर्ष पूर्व मीर कासिम ने इस मंदिर को ध्वस्त किया और आस्था को भी ठेस पहुंचाई। तब से लेकर 1984 तक अनगिनत बार इसके लिए संघर्ष हुए बलिदान हुआ, 1984 में राजमाता विजया राज्ये सिंधिया द्वारा विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से सर्वप्रथम इसको एक संगठित आंदोलन के रूप में चलाने की प्रेरणा मिली। कार सेवाएं आई हुई, कई लोग शहीद हुए, 2001 में विश्व हिंदू परिषद में श्री राम जय राम जय जय राम के घर-घर में जप करवाए।

संत प्रभु दास की प्रेरणा से यह कार्यक्रम हुआ और उसे समय अयोध्या में राम यज्ञ हुआ,उसी में गोधरा कांड की घटना भी हुई और वह यज्ञ कहीं ना कहीं उस परिणाम को नहीं दे पाया जो अपेक्षित था। 2010 में हनुमत शक्ति जागरण कार्यक्रम हुआ और हाईकोर्ट से फैसला आया। अब भावनाएं प्रबल हो चुकी थी, प्रतीक्षा अपने शिखर पर थी। अशोक सिंघल ने एक बार मुझसे संवाद किया, कि क्या ऐसा हो ग्रह नक्षत्र की क्या ऐसी युति बने कि अब राम जी यह प्रतीक्षा समाप्त करें और राम मंदिर का स्वप्न साकार हो, कैसे हो, क्या फिर से दंगे होंगे? क्या फिर से उपद्रव होगा? उनका हृदय द्रविभूत हो गया। मैंने भी विचार किया राम जी से, प्रार्थना की, ग्रह नक्षत्र की गणना देखी तो लगा कि यह काम होगा, कई संतों के मुख से सुना था कि गोस्वामी तुलसीदास जी की विनय पत्रिका का पाठ यदि रघुनाथ जी को सुनाते हैं, तो वो हमें उचित समाधान अवश्य देते हैं, संतों की प्रेरणा से विनय पत्रिका का अनुष्ठान किया, क्योंकि मैं देख नहीं सकती थी तो मेरी माता जया जी दवे, मुझे पढक़र सुनाती थी, रघुनाथ जी सुनते थे और समय आने पर रघुनाथ जी ने उत्तर दिया। जन्माष्टमी पर उन्होंने ब्रह्म मुहूर्त में स्वप्न देकर कहा कि देश में परिवर्तन के लिए समर्थ गुरु रामदास जी ने भी यही प्रार्थना की थी और उन्होंने श्री राम जय राम जय जय राम की तेरा करोड़ जप विधि पूर्वक किए थे, जिससे शिवाजी का राज्यारोहण हुआ।

युग परिवर्तन करना है, राम मंदिर का निर्माण होना है, तो उसके प्रबल प्रतिबंधक इसी जप के माध्यम से मिटेंगे, कि जप कहां हो? तो राम जी ने बताया कि जप ओरछा में होने चाहिए। जहां उनका दिव्य विग्रह विराजमान है ,जो राजा के रूप में है। 2014, 19 मार्च से 29 मार्च तक यह वह समय था चैत्र कृष्ण पक्ष का जब राम जी ने रावण से संघर्ष किया था, कुछ योग ऐसे थे, कई प्रकार के सिद्धि योग थे उस कालखंड में ओरछा की पवित्र भूमि पर श्री कलि विजय मंत्र श्री राम जय राम जय जय राम का जप यज्ञ होना सुनिश्चित हुआ।

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