संघ गुणों का खजाना है, आत्मा की उन्नति का मार्गदर्शक : सुमति मुनि सा
जोधपुर। चौरड़िया भवन में विराजित सुमति मुनि सा ने अपने प्रेरणादायक प्रवचनों में कहा कि हिंसा के भाव लाने से आत्मा का पतन होता है और यह मौत की तैयारी का संकेत होता है। उन्होंने बताया कि संघ गुणों का खजाना है, पूजनीय है और स्वयं परमात्मा भी अपनी देशना देने से पूर्व संघ को नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि संघ ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप में आत्मा को आगे बढ़ाने का कार्य करता है।
मुनि श्री ने विशेष रूप से चेताया कि जो कार्य नहीं करने योग्य हैं, उन्हें करने पर या संघ एवं साधु के साथ विश्वासघात करने पर महामोहनीय कर्म का बंध होता है, जो आत्मा को अधोगति की ओर ले जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि बुद्धि भी एक लब्धि है, जिसे माया या गलत कार्यों में नहीं लगाना चाहिए।
मुनिश्री ने कहा कि स्वयं की गलती को स्वीकार कर उसका प्रायश्चित करना चाहिए, न कि उसका बचाव करना।
संघ अध्यक्ष देवराज बोहरा ने बताया कि चौरड़िया भवन में आयोजित संस्कार शिविर में जयमल पाठशाला के अनेक बच्चों ने भाग लिया। शिविर सुमति मुनि के सान्निध्य में संपन्न हुआ। शिविर के पश्चात सभी बच्चों के लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई। उन्होंने कहा कि इस शिविर में बच्चों को लाने को लेकर अभिभावकों में विशेष उत्साह देखा गया।
साध्वी नगीना ने अपने प्रवचन में कहा कि जो व्यक्ति हार को नहीं पचा पाता, वह द्वेष और वैर की ओर बढ़ता है। कभी-कभी पुण्य उदय भी पाप कराने का कारण बनता है, इसलिए हमें सदैव विवेक से कार्य करना चाहिए। गलत कर्म करने से बुद्धि भ्रष्ट होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि कर्म किसी के साथ जबरदस्ती नहीं करता, बल्कि प्रेरित करता है। यदि आत्मा मजबूत है तो वह किसी भी स्थिति में गलत कार्य नहीं करती। साध्वी जी ने चेताया कि अत्यधिक प्रसन्नता में वरदान न दें और अधिक क्रोध में कोई निर्णय न लें।
उन्होंने कहा कि संघ एवं शासन पर संकट आने पर संत अपनी साधनाओं और लब्धियों के बल पर संघ की रक्षा करते हैं। रक्षाबंधन का पर्व भी इसी भावना को समर्पित है, जिसमें रक्षा सूत्र के माध्यम से संघ की रक्षा का संकल्प लिया जाता है।
इस अवसर पर संघ के अनेक साधु-साध्वी, भक्तगण एवं श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।