नए ठिकानों पर भी गूंजने लगा कुरजां का कलरव
सेवा भारती समाचार।
जोधपुर। जिले के खींचन के बाद सात समंदर पार से आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां के लगातार नए ठोर बनते जा रहे हैं। शहर के नजदीकी जलाशयों पर हजारों कुरजां का आगमन हो चुका है। वर्तमान में खींचन में करीब 7 हजार से अधिक कुरजां के समूह ने डेरा डाला है। वहीं लूणी क्षेत्र के खारा बेरा तालाब, गुड़ा बड़ा तालाब सहित कई जगहों पर पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगा है। मेहमान पक्षियों के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए क्षेत्रवासी नियमित चुग्गा डालने की व्यवस्था कर रहे हैं।
दक्षिणी पूर्वी यूरोप, साइबेरिया, उत्तरी रूस, यूक्रेन, कजाकिस्तान से हजारों किमी का सफर तय कर कुरजां के समूह गुजरात व राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में शीतकाल प्रवास के लिए आते हैं। खींचन में हर साल 20 से 25 हजार पहुंचते हैं। इस बार अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में ही 7 हजार कुरजां खींचन आ चुकी हैं। जोधपुर-बाड़मेर सीमा पर स्थित कोरना गांव में भी बड़ी संख्या में कुरजां आई है। खींचन के सेवाराम माली के अनुसार भामाशाहों के सहयोग से प्रतिदिन 30 क्विंटल चुग्गा डालने की व्यवस्था की गई है।