संस्कृति से ही संस्कारों का निमार्ण होता है: कमलमुनि
सिरोही(जयन्तिलाल दाणा)। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने कहा कि हमारी आध्यात्मिक संस्कृति विश्व में सबसे प्राचीन है, जिसका कोई विकल्प नहीं हैं। संस्कृति की रक्षा धर्म और भगवान की रक्षा करने के समान है। जीवन निर्माण में ऑक्सीजन महत्वपूर्ण भूमिका है उक्त विचार राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने पावापुरी जीव मैत्रीधाम में केपी संघवी आर्ट गेलेरी के अवलोकन के बाद कहा कि संस्कृति से ही संस्कारों का निर्माण होता है उसी के आधार पर चरित्र का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का हमला आतंकवाद से भी खतरनाक है जैसे संस्कारों की होली और चरित्र का पतन किया है। राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति के सहारे ही हिंदुस्तान विश्व गुरू के रूप में विख्यात हुआ हैं और डब्ल्यूएचओ की कसौटी पर खरा उतर रहा है। जैन संत ने कहा कि भारतीय संस्कृति के यम, नियम, योग, प्राणायाम, ध्यान शरीर को निरोग व आत्मा की शुद्धि और विश्व शांति के लिए एक माध्यम है। उन्होने कहा कि भोग वाद और विलासिता पूर्ण पाश्चात्य संस्कृति रोग और अशांति की जननी है पूरा विश्व हमारी संस्कृति को अपनाने हुए शांति का अनुभव कर रहा है। दुर्भाग्य है जिसको बहुत लोग थूक रहे हैं उसे हम चाट रहे हैं। मुनिराज ने के. पी. संघवी आर्ट गेलेरी मे 108 चित्रो की पेन्टिग को अद्भुत बताते हुऐ कहा कि ये चित्र युवा पीढी को बहुत बडा सन्देश देती हैं ओर युवाओ को इससे बडी सीख मिलती हैं।