विपक्ष के कायरतापूर्ण दृष्टिकोण ने आतंकवाद को पोषित किया : अमित शाह
जोधपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने हाल ही में अपने तर्कों से स्पष्ट कर दिया कि भारत की मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा नीति किस प्रकार विपक्ष की भूलों को सुधार रही है। कांग्रेस की राजनीति ने देश को जिन घावों का दर्द दिया, वे आज भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के रूप में सामने आते हैं। पंडित नेहरू की ऐतिहासिक भूल ने पीओके को जन्म दिया और देश का 38,000 वर्ग किलोमीटर हिस्सा चीन को गँवाने का कलंक भी उसी दौर में मिला। 1971 की जीत के बाद भी विपक्षी सरकार ने 15,000 वर्ग किलोमीटर भूमि और पीओके को कब्जे में लेने का अवसर गँवा दिया, बल्कि पाकिस्तान के 93,000 युद्धबंदियों को छोड़कर इतिहास की सबसे बड़ी रणनीतिक भूल कर दी। विपक्ष के इसी कायरतापूर्ण दृष्टिकोण ने आतंकवाद को पोषित किया। जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत को विपक्ष ने खुला संरक्षण दिया, जिससे पूरी घाटी आतंक की गिरफ्त में आ गई। यही कारण है कि भारत दशकों तक आतंकवाद की आग में झुलसता रहा। बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आतंकी पर आंसू बहाना और शहीद मोहन चंद्र के लिए संवेदना न जताना, यही कांग्रेस की मानसिकता की असली तस्वीर है।
लेकिन आज तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अडिग राजनीतिक इच्छाशक्ति और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की दूरदर्शी रणनीति ने वह कर दिखाया है जो कांग्रेस के लिए असंभव था। देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने देखा है कि आतंकवाद पर भारत अब डोज़ियर नहीं भेजता, बल्कि मिसाइल भेजता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस बात का प्रमाण है कि मोदी सरकार में आधुनिक हथियारों से लैस हमारी सेना पाकिस्तान की पूरी एयर डिफेंस प्रणाली को आधे घंटे में मलबे में बदलने की क्षमता रखती है। दुश्मन के गढ़ में घुसकर नेस्तनाबूद करने वाले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम के खूंखार आतंकियों को मिट्टी में मिलाने वाले ‘ऑपरेशन महादेव’ ने भारत की अजेय शक्ति का बिगुल बजा दिया। फिर भी विपक्ष ने इन ऐतिहासिक विजयों को अपने तुच्छ राजनीतिक स्वार्थों की धूल में लपेटने की कोशिश की।
आज पीओके की चिंता केवल विपक्ष के बयानों तक सीमित है, लेकिन राष्ट्र जानता है कि उसे वापस लेने का कार्य केवल मोदी सरकार ही कर सकती है। संवेदनशील और निर्णायक नेतृत्व का यह संकल्प अब अटल हो चुका है कि जब तक दुश्मन डरता या सुधरता नहीं, आतंकवाद को जड़ से मिटा दिया जाएगा। विपक्ष की मायूसी यह दर्शाती है कि आतंकी ठिकानों पर भारत की निर्णायक कार्यवाही उनकी वोट बैंक की राजनीति को चोट पहुँचा रही है।
जबकि, आतंकवाद से मुक्त भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध शाह ने यह साफ कर दिया कि अब भारत आतंकी ठिकानों को जमींदोज करेगा और आतंकवादियों को पनाह देने वालों को बेनकाब करेगा।