राजस्थान में ग्रेनाइट खनन पट्टाधारियों का बड़ा आंदोलन
राज्य सरकार व पर्यावरण विभाग की नीतियों के खिलाफ 8 अगस्त से हड़ताल का ऐलान
पाली। राजस्थान में ग्रेनाइट, मैसेनेरी स्टोन, रोलाईट, डोलोमाइट, चाइना क्ले और केशर माइनिंग से जुड़े पट्टाधारियों ने राज्य सरकार और पर्यावरण विभाग द्वारा लगाए गए दमनकारी और अव्यावहारिक नियमों के विरोध में 8 अगस्त 2025, शुक्रवार से अनिश्चितकालीन चक्का जाम और खनन कार्य बंद करने का ऐलान किया है।
आंदोलन के प्रमुख बिंदु:
SEIAA कमेटी द्वारा वृक्षारोपण हेतु 642590 रु./हेक्टेयर की अनिवार्यता:
खनन पट्टों पर यह नियम अन्यायपूर्ण बताया गया है और मांग की गई है कि इसे तत्काल वापस लिया जाए क्योंकि यह MOEF के मानकों के विपरीत है।
वन्यजीव संरक्षण फंड (WCP) हेतु राशि जमा करने के आदेश का विरोध:
17 जुलाई 2025 के आदेश को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग की गई है।
ड्रोन सर्वे आधारित माप प्रणाली का विरोध:
यह व्यवस्था अव्यावहारिक बताई गई है और मांग की गई है कि पूर्ववर्ती नियमों को बहाल किया जाए।
03 जनवरी 2025 की गजट अधिसूचना में स्ट्रीप ऑफ लैंड को खनन पट्टों से हटाने का विरोध:
इसे असंवैधानिक बताते हुए पूर्व के नियमों की बहाली की मांग की गई है।
बिना नोटिस व सुनवाई के खनन पट्टे निरस्त करने के प्रावधान का विरोध:
दो वर्ष से अधिक समय से बंद पड़े पट्टों को बीमारू उद्योग मानते हुए राहत देने की मांग की गई है। इस हड़ताल के तहत समस्त खनन गतिविधियां और मजदूरों का नियोजन तत्काल प्रभाव से बंद किया जाएगा। केशर माइनिंग एसोसिएशन, पाली और संबंधित खनिज समूहों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। यह विरोध प्रदर्शन न सिर्फ खनन उद्योग बल्कि उससे जुड़े लाखों श्रमिकों और परिवारों की आजीविका से जुड़ा मुद्दा बन गया है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।