वर्चुअल वेबिनार में दी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति
सेवा भारती समाचार
जोधपुर। वल्र्ड इंडिजिनस डे के अवसर पर दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत जोधपुर के अरना झरना-थार रेगिस्तान संग्रहालय से हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रतिष्ठित संगीत वाद्ययंत्रों के माध्यम से प्रकृति, मानव जीवन शैली, महाकाव्यों और गाथा गीतों से हुआ। भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा के लिए दो दिवसीय वर्चुअल सूचनात्मक शैक्षिक कार्यक्रम का उद्घाटन पदम श्री गणेश नारायण दास देवी द्वारा किया गया। डॉ देवी ने कहा कि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत भारत में संरक्षित विशाल मौखिक परंपराओं, राजनीति, समाजशास्त्र, संस्कृति, ज्ञान और मानव प्रयासों से संबंधित इतने सारे मुद्दों का जवाब देने के लिए आकर्षक तकनीक के उपयोग में बौद्धिक लेनदेन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम की शुरुआत स्वदेशी प्रदर्शनी और कलाकारों की कलाकृतियों, लंगा, कामद, कालबेलिया, लंगा मंगा और विशेषज्ञ विचारों के साथ हुई। लोक संवाद संस्थान के अध्यक्ष और यूनिसेफ के पूर्व निदेशक कुल भूषण कोठारी ने दुनियाभर और देश भर से हजारों की संख्या मे भाग लेने वाले प्रतिनिधियों का स्वागत किया। वेबिनार में प्रो. अमरेश्वर गल्ला, डॉ. शुभा चौधरी, मो डायनर, डॉ. सुभरा देवी, प्रो. सरित कुमार चौधरी, डॉ. आनंद कृष्णन आदि ने विचार व्यक्त किए। आयोजन का समापन तेराताली नृत्य के साथ किया। लोक संवाद संस्थान के सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने बताया कि रूपायन संस्थान के सचिव कुलदीप कोठारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।