मायड भासा सारू जुगल परिहार रा करियौड़ा प्रयास हरमेस याद कर्या जावैला – जस्टिस व्यास
जुगल परिहार स्मृति राजस्थानी साहित्य पुरस्कार सम्पन्न
जोधपुर। हमें अपनी परिजनों के बीच राजस्थान भाषा का प्रयोग करना चाहिए। जुगल परिहार के अपनी मायड भाषा के लिए किये गये प्रयास हमेशा याद रखें जाएंगे।
जुगल परिहार स्मृति समिति की ओर से आयोजित जुगल परिहार स्मृति राजस्थानी साहित्य सम्मान समारोह एवं ओळू रै आंगणियै कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए जुगल परिहार के अवदान को याद किया। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर जहूर खां मेहर ने जुगल परिहार के और अपने घनिष्ठ संबंधों को याद रखते हुए जुगल परिहार के कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की।
विशिष्ट अतिथि मनोहर सिंह राठौड़ ने जुगल परिहार को माणक’ का पर्याय माना, ‘माणक का अस्तित्व जुगल परिहार से था और वरिष्ठ साहित्यकारों से उनके संबंधों पर अपने विचार व्यक्त किये। वरिष्ठ साहित्यकार मीठेश निर्मोही ने जुगल परिहार के साथ बिताये लम्हों को याद करते हुए संस्मरण सुनायें।
इस अवसर पर मीरा नगरी मेड़ता के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. काळूखां देशवाळी को उनकी कृति ‘आडिया में राजस्थानी जनजीवण के लिए ‘जुगल परिहार स्मृति राजस्थान साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। कालू खां देशवाली को माला, साफा, शॉल, मोमेन्टो तथा प्रशस्ति पत्र के साथ नकद राशि प्रदान की गयी। इस अवसर पर डॉ. कालू खां ने भी अपने विचार व्यक्ति किये।
जुगल परिहार स्मृति राजस्थान साहित्य सम्मान के निर्णायक मण्डल के सदस्य रहे बीकानेर के शंकरसिंह राजपुरोहित को साफा, माला, मोमेन्टो से सम्मानित किया गया। सरस्वती प्रतिमा एवं जुगल परिहार के चित्र पर माल्र्यापण व दीप प्रज्वलन से आरम्भ हुए कार्यक्रम की शुरूआत संस्था अध्यक्ष कीर्ति परिहार के स्वागत उद्बोधन से हुई। कार्यक्रम का संचालन वाजिद हसन काजी ने किया तथा आभार समिति सचिव रामेश्वर बौराण ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार मीठेश निर्मोही प्रदीप सोनी, डॉ. प्रकाशदान चारण, दिलीप राव, कैलाशदान लालस, डॉ. छगनराज राप, डॉ. दीपा परिहार, दिलीप राव, ईसरा राम, उम्मेद खां, अब्दुल समद राही, श्याम जी बौराणा, राजेश पंवार, रेणु परिहार, विमला पंवार, दिनेश परिहार, गुरूदत अवस्थी, गुड्डु खान आदि उपस्थित रहे।