मोहर्रम की ‘शामे गरीबां’ अकीदत से मनाई, कर्बला के शहीदों को किया याद

अधिस्वीकृत पत्रकार गुलाम मोहम्मद, सम्पादक, सेवा भारती, जोधपुर

जोधपुर। कर्बला के शहीदों की याद में मनाई जाने वाली मोहर्रम की नौवीं तारीख ‘शामे गरीबां’ शनिवार को पूरे अकीदत और एहतराम के साथ गुजारी गई। मुस्लिम समाज के लोगों ने इस मौके पर रोजे रखकर इबादत की और शहर की मस्जिदों में देर रात तक दुआओं का सिलसिला जारी रहा।

पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद सअव के नवासों — हज़रत इमाम हसन और हुसैन — तथा कर्बला के तमाम शहीदों की याद में हर साल की तरह इस बार भी पूरे शहर में गम और मातम का माहौल रहा। रविवार को ‘योम-ए-आशूरा’ पर अकीदतमंद रोजा रखकर ताजियों के जुलूस में शरीक होंगे और कर्बला की शहादत को याद करेंगे।

शहर के बंबा मोहल्ला, गुलजारपुरा, लायकान मोहल्ला, जामा मस्जिद, महावतों की मस्जिद, सोजती गेट, मोती चौक, इस्हाकिया स्कूल, उमेद चौक, गोल नाडी, लखारा बाजार, सिवांची गेट, खांडा फलसा, धान मंडी, उदयमंदिर, कबाड़ियों का बास गोल बिल्डिंग, प्रतापनगर काली टंकी, खेतानाड़ी, मसूरिया, नियारियों का बास, बलदेव नगर, मदेरणा कॉलोनी और छीपों का बास सहित विभिन्न मुकामों पर ताजिए खड़े किए गए।

मुस्लिम बहुल इलाकों में देर रात तक ताजियों के सामने अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोग कतारों में खड़े होकर ताजियों पर फूल चढ़ाते और फातिहा पढ़ते नज़र आए।

मोहर्रम एकता कमेटी के सदर उस्ताद हाजी हमीम बक्ष ने बताया कि शनिवार शाम को ताजिए मुकामों पर रखे गए और रविवार को दिनभर एवं रात को मोहर्रम की रस्में अदा की जाएंगी। उन्होंने बताया कि अकीदतमंद रविवार को योम-ए-आशूरा का रोजा रखकर शहीद-ए-कर्बला की याद में शामिल होंगे।

शहर के मुस्लिम इलाकों में शनिवार रात इशा की नमाज के बाद जैसे आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। कर्बला के शहीदों की याद में मातम, दुआ और मजलिसों का दौर देर रात तक जारी रहा।

इमाम हुसैन की याद में जोधपुर में बंटी खीर-हलीम, पिलाई गई छबील: गम और सेवा का अनोखा संगम


जोधपुर।
कर्बला की प्यास और शहादत की याद में शनिवार को जोधपुर के मुस्लिम बहुल इलाकों में खास गम और खिदमत का माहौल देखने को मिला। इमाम हसन और इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए अकीदतमंदों ने जगह-जगह खीर, हलीम और छबील का इंतज़ाम किया।

रात भर चलती रही तैयारी


शहर के जालोरी गेट, लाडपुरा, सदर बाज़ार, गोल बिल्डिंग और झंडा चौक जैसे इलाकों में बड़े-बड़े कड़ाव सजाए गए। कई स्थानों पर लोग पूरी रात जागकर हलीम पकाते रहे। इसमें गेहूं, चना, गोश्त और मसालों के साथ बहुत मेहनत से इसे तैयार किया गया। सुबह होते ही इसे बड़ी श्रद्धा के साथ राहगीरों और अकीदतमंदों में बांटा गया।

छबील से बुझाई प्यास


कर्बला में इमाम हुसैन और उनके साथियों को पानी से महरूम कर दिया गया था। उसी दर्द को महसूस करते हुए शहर के कई चौक-चौराहों पर मीठे पानी और दूध की छबीलें लगाई गईं। राहगीरों और रोज़ेदारों को पानी पिलाकर कर्बला की प्यास का अहसास साझा किया गया।

सेवा में जुटे युवा और बच्चे


कड़ाव में हलीम पकाने से लेकर इसे बांटने तक युवाओं और बच्चों ने भी पूरे उत्साह के साथ सेवा में हाथ बंटाया। कई जगह महिलाओं ने खीर और सेवइयां बनाकर भी तबर्रुक के रूप में बांटीं।

अकीदतमंदों का कहना था कि यह दिन हमें इंसानियत, सब्र और बलिदान का सबक देता है। इस मौके पर लोगों ने अमन और भाईचारे की दुआएं भी मांगीं।

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