घरों में रहकर की गवर माता की पूजा-अर्चना
जोधपुर। कोरोना का असर त्यौहारों पर भी पड़ रहा है। सभी त्यौहार व धार्मिक पर्व घरों में ही मनाए जा रहे है। सौभाग्य, गृहस्थ, परिवार की खुशहाली के लिए किए जाने वाले सोलह दिवसीय सामूहिक गवर माता का पूजन व्रत व अनुष्ठान का पारणा आज किया गया। तीजणियां ने घरों में ही रहकर गवर ईसर से वैश्विक महामारी कोरोना से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। वैशाख कृष्ण तृतीया की पूर्व संध्या पर गवर को पानी पिलाने के लिए आयोजित होने वाला लोटियों का मेला भी गुरुवार को लॉक डाउन के कारण स्थगित रहा। बेंतमार गणगौर मेला कमेटी अध्यक्ष अनिल गोयल ने बताया कि पिछले 38 साल में यह पहला मौका है जब वैशाख कृष्ण तृतीया को गवर माता की आभूषणों से सजी प्रतिमा तीजणियों के लिए दर्शनार्थ नहीं रखी गई। महामारी कोरोना की संक्रमित चेन तोडऩे के लिए सोलह दिवसीय गवर माता पूजन इस बार तीजणियों ने घरों में ही रहकर किया। महिला सशक्तिकरण को लेकर मनाए जाना वाला अनूठा धींगा गवर मेला भी स्थगित होने से आज धींगा गवर मेले के इन्द्रधनुषी रंग भी नहीं नजर आए। इससे पहले धींगा गवर पूजन में महिलाएंं एक साथ बैठ कर सामूहिक रूप से मां पार्वती की पूजा 15 दिनों तक करती थी लेकिन सरकार के लॉक डाउन व सोशल डिस्टेंसिंग के चलते अब सामूहिक रूप से पूजन नहीं किया गया। इस पूजन में 14वें दिन शुद्ध जल लोटियो में भर कर लाया जाता है और अंतिम 15वें दिन उसी शुद्ध जल से माता पार्वती की पूजा की जाती है लेकिन अभी के समय मे महिलाएंं बाहर जा नहीं सकती है। इसके लिए महिलाओं ने अब दूसरा तरीका अपनाया।कबूतरों के चौक निवासी पूजा बोहरा ने बताया कि पिछले 15 दिनों से अपने घर में गवर माता की पूजा की जा रही है। गवर माता की पूजा के लिए पवित्र जल लाने के लिए उन्होंने एक तरीका अपनाया। उन्होंने अपने घर में रखे गंगा जल को घर के मुख्य द्वार के बाहर ले जाकर अपना कलश उससे भरा और अपने सिर पर उठाकर अपने घर ले आई जिससे उनका लोटिया का प्रण भी पूरा हो गया व सरकार के आदेश की भी पूर्ण पालना हो गई।