कैंसर के इलाज में आएगी क्रांति, जीन थेरेपी से बदलेगा भविष्य

जोधपुर। कैंसर, मानवता का एक ऐसा दुश्मन है जो सदियों से इंसानियत को परेशान कर रहा है. हालांकि, इसके इलाज में काफी तरक्की हुई है, सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी जैसे नए ट्रीटमेंट मेथड आ गए हैं बावजूद इसके कैंसर के खिलाफ लड़ाई मुश्किल बनी हुई है. इस बीच जीन थेरेपी ने कैंसर के इलाज में उम्मीद की एक नई किरण दी है।

बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल नई दिल्ली के बीएलके मैक्स कैंसर सेंटर में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर सज्जन राजपुरोहित ने बताया कि जीन थेरेपी में कैंसर से लड़ाई के लिए मरीज के जेनेटिक मेकअप पर काम किया जाता है. इस थेरेपी में खराब जींस को स्वस्थ जींस से ठीक किया जाता है और इससे कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ और प्रसार को रोका जाता है. यह अलग-अलग वायरस या आर्टिफिशियल लिपोजोम्स के जरिए किया जा सकता है, जो टारगेटेड सेल्स तक सीधे थेरेपैटिक जींस को पहुंचाता है।

कैंसर के लिए अलग-अलग तरह की जीन थेरेपी की जाती हैं-

ट्यूमर सप्रेसर जीन थेरेपी: इसमें ऐसे जींस को एक्टिव किया जाता है तो ट्यूमर को खत्म करते हैं. ये जींस आमतौर पर कैंसर सेल्स में म्यूटेड या शांत होते हैं. ये जींस पर कोशिकाओं के विकास पर ब्रेक लगाने का काम करते हैं और ट्यूमर की ग्रोथ को भी रोक सकते हैं।

ऑन्कोजीन साइलेंसिंग: ऑन्कोजीन म्यूटेड जीन होते हैं जिनसे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि होती है. इन ऑन्कोजीन पर जीन थेरेपी के जरिए अलग-अलग तरीके से टारगेट किया जाता है जिसमें आरएनए हस्तक्षेप (RNAi) या जीन एडिटिंग तकनीक जैसे सीआरआईएसपीआर / सीएएस 9 शामिल हैं. इनके जरिए ऑन्कोजीन की फ्रीडम को कंट्रोल किया जाता है और ट्यूमर की ग्रोथ को रोका जाता है।

चिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR) टी-सेल थेरेपी: इस प्रक्रिया में मरीज से टी कोशिकाओं को निकाला जाता है, बॉडी के इम्यून सोल्जर्स को निकाला जाता है. कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन्हें टारगेट करने के लिए सीएआर, रिसेप्टर्स डिजाइन किए जाते हैं. इन मॉडिफाइड टी कोशिकाओं को फिर से मरीज के अंदर पहुंचाया जाता है, जहां वे ट्यूमर कोशिकाओं को खोज कर नष्ट करने का काम करते हैं।

जीन थेरेपी के क्षेत्र में रिसर्चर और लीडिंग ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर सज्जन राजपुरोहित ने इस तकनीक की उपयोगिता पर जोर देते हुए बताया, ”जीन थेरेपी में पर्सनलाइज्ड तरीके से कैंसर का इलाज किया जाता है. इसमें हर मरीज के जेनेटिक मेकअप के जरिए ट्रीटमेंट प्लान किया जाता है और थेरेपी दी जाती है. ये टारगेटेड दृष्टिकोण प्रभावशाली होता है और परंपरागत थेरेपी की तुलना में इसके साइड इफेक्ट्स कम होते हैं।”

हालांकि, कैंसर के लिए जीन थेरेपी अभी अपने शुरुआती स्टेज में है और इसमें लगातार प्रोग्रेस हो रही है. इसमें कई तरह के चैलेंज हैं, जैसे वेक्टर डिलीवरी एफिशिएंसी, संभावित ऑफ-टारगेट इफेक्ट्स, और इलाज का खर्च ।

बहरहाल, इस थेरेपी पर अभी जो रिसर्च चल रही है और जो क्लिनिकल ट्रायल्स हो रहे हैं, उसमें तेजी से बेहतर रिजल्ट सामने आ रहे हैं और ये संभावना है कि जल्द ही कैंसर के खिलाफ लड़ाई में जीन थेरेपी एक बड़ा हथियार बनेगी।
जीन थेरेपी के फायदे कैंसर से कहीं आगे हैं. इसके जरिए अलग-अलग जेनेटिक और संक्रामक डिजीज का इलाज किया जाता है. इससे भविष्य में ये उम्मीद जगती है कि जो बीमारियां कभी इलाज योग्य नहीं मानी जाती थीं, उन्हें ठीक किया जा सके।

डॉक्टर राजपुरोहित ने कहा, ”जीन थेरेपी सिर्फ एक इलाज का विकल्प मात्र नहीं है, बल्कि यह एक बदलाव है कि हम बीमारी से कैसे निपटते हैं. यह बीमारी से लड़ने के लिए हमारे अपने जीन की शक्ति का उपयोग करने और परेशानियों से जूझ रहे मरीजों की कहानियां फिर से लिखने के बारे में है।”

हम उस फ्यूचर की तरफ बढ़ रहे हैं जहां जीन थेरेपी कैंसर और अन्य बीमारियों के खिलाफ एक आम हथियार के रूप में उभरेगा. हालांकि, इस यात्रा में तमाम चुनौतियां हैं, लेकिन शोधकर्ताओं के समर्पण, क्लीनीसियंस और डॉक्टर राजपुरोहित जैसे विजनरीज उम्मीद को परवाज देते हैं. लगातार हो रही रिसर्च और विकास, जीन थेरेपी स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लाने में सक्षम है, जिससे दुनियाभर के मरीजों को उम्मीद मिली है।

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