पारिवारिक सदस्यों का सहयोग करना बालश्रम नहीं : संगीता बेनीवाल
पुलिस विभाग को बालक और कुमार श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 की पालना के निर्देश
जोधपुर। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पारिवारिक कार्य एवं व्यवसाय में सहयोग करने वाले बच्चों के विरुद्ध बालश्रम के अन्तर्गत कार्यवाही किया जाने को बालश्रम निषेध अधिनियम की मूल भावना के विपरीत बताया है।
आयोग अध्यक्ष श्रीमती संगीता बेनीवाल ने बताया कि प्रदेश के कुछ स्थानों से शिकायत प्राप्त हो रही थी कि परिवार द्वारा किए जा रहे कार्यों में बालकों द्वारा कुछ सहयोग कर दिया जाता है, किन्तु मानव तस्करी विरोधी इकाई द्वारा बालश्रम के विरूद्ध की जाने वाली कार्यवाही के दौरान आंकड़े दिखाने के लिए इन बच्चों को रेस्क्यू कर बालगृह में भिजवा दिया जाता है। इस कारण से इन बच्चों के मानसिक पटल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और बच्चे दुर्भावना के शिकार हो जाते हैं।
आयोग अध्यक्ष ने बताया कि अभी हाल में ही जोधपुर शहर में इसी प्रकार के एक प्रकरण में पारिवारिक व्यवसाय में सहयोग करने वाले बालकों को रेस्क्यू कर रिश्तेदारों के खिलाफ बालश्रम उन्मूलन के अन्तर्गत कार्यवाही किए जाने का मामला सामने आया है, जिसे बाल आयोग द्वारा गम्भीरता से लिया गया है।
श्रीमती बेनीवाल ने प्रकरण पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पुलिस उपायुक्त पूर्व/पश्चिम, जोधपुर को तथ्यात्मक रिपोर्ट आयोग कार्यालय में भिजवाने तथा भविष्य में इस प्रकार के घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं करने के निर्देश दिए हैं।
बाल आयोग द्वारा इस संबंध में पुलिस विभाग को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि इस प्रकार के प्रकरणों में बालक और कुमार श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 की धारा 3, 34 व 7 के नियमानुसार कार्यवाही की जावे तथा बालश्रम के प्रकरणों में वास्तविक बाल श्रमिकों को ही रेस्क्यू कर पुनर्वास की कार्यवाही की जावे।