जल संरक्षण में सरपंचों का अहम योगदान: शेखावत
सेवा भारती समाचार।
जोधपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि गांव का सरंपच एक ग्राम पंचायत का चुना हुआ प्रतिनिधि नहीं, बल्कि छोटी संसद ग्राम पंचायत का प्रधानमंत्री है। जिस तरह से देश की सबसे बड़ी संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानी के महत्व को समझा, उसी तरह से देश की सबसे छोटी संसद ग्राम पंचायत के सरपंचों को पानी के महत्व को समझना होगा। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एमआईटी वल्र्ड पीस यूनिवर्सिटी पुणे द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सरपंच संसद के कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सरपंच संसद देश की माटी से जोडऩे वाला एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता को लेकर लाल किले की प्राचीर से चर्चा की। देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने देश के अंतिम पायदान पर बैठे हर एक व्यक्ति को स्वच्छ पेयजल और शौचालय उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठाया।
शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण को लेकर देश के सभी सरपंचों को स्वयं पत्र लिखा और मन की बात में लोगों से अपील भी की। इसके बाद गांवों में बड़ा बदलाव दिख रहा है। ये बदलाव सरपंचों के योगदान से आया है। सरपंचों के योगदान से देश में सुखद और सकारात्मक बदलाव हुआ है, स्वच्छता आंदोलन की तरह ही लोग अब गांवों में जलमंदिर बनाने में जुट गए हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद इस वर्ष देश में 7 लाख जल निकायों का पुनरुद्धार करने जा रहा है, जिनमें से 4 लाख 52 हजार से ज्यादा पर काम पूरा हो चुका है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहां एक व्यक्ति, संस्था, समूह, ग्राम पंचायत, जनप्रतिनिधि या सरकार ने अपने स्तर पर प्रयास किए और क्षेत्र या गांव को जल समृद्ध बनाने में सफलता पाई। जब एक गांव जल समृद्धि होता है तो वो केवल गांव को पानी की सुरक्षा प्रदान नहीं करता, अपितु पूरे ईको सिस्टम में परिवर्तन लाता है।
शेखावत ने कहा कि सरकार ने पेयजल और स्वच्छता को प्राथमिकता पर रखा है। 15वें वित्त आयोग में केवल इस वर्ष के लिए 60 हजार करोड़ रुपए पंचायती राज संस्थानों को एक साल के लिए जारी किया था, उसका 50 फीसदी हिस्सा यानि 30 हजार करोड़ रुपया केवल पेयजल और स्वच्छता पर ही खर्च हो, इस तरह के ग्रांट के रूप में दिया था। कम से कम 15 हजार करोड़ रुपया तो राज्यों के पास में इस वर्ष केवल सैनीटेशन के लिए उपलब्ध होगा।