सर्दियों में जोड़ों का दर्द नहीं करेगा परेशान, ऐसे रखें अपना ख्याल
सेवा भारती समाचार।
उत्तर भारत में ठंड की दस्तक हो चुकी है। ठंड का मौसम वैसे तो अधिकतर लोगों के चेहरे पर मुस्कान ले आता है, लेकिन दूसरी ओर कईयों की परेशानी का कारण भी बनता है। क्या ठंड का नाम सुनकर आपको जकड़े हुए जोड़ याद आते हैं? क्या ठंड आपको बीमारियों की याद दिलाता है? यह कहना गलत नहीं होगा कि यह मौसम कब त्यौहारों से जोड़ों के दर्द में बदल जाता है, इसका व्यक्ति को अंदाजा ही नहीं लगता है। ठंड के मौसम में दर्द सहन करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। इस दौरान जोड़ों में लचक बनाए रखने और दर्द को गंभीर होने से रोकने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और ऐसा नहीं है कि ये समस्या केवल एक निर्धारित उम्र के लोगों को ही परेशान करती है। वास्तव में, गतिहीन जीवनशैली के कारण ये समस्या अब हर उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है। जोड़ों का दर्द ही नहीं बल्कि मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सिरदर्द, गर्दन दर्द, तंत्रिका दर्द, फाइब्रोमायल्जिया आदि समस्याएं इस मौसम में बहुत ज्यादा परेशान करती हैं।
दर्द और मौसम के बीच सीधा संबंध है, लेकिन चिकित्सक अभ्यासों में बार-बार देखे जाने के बावजूद वैज्ञानिक अध्ध्यनों में बहुत ही कम लोग इस बात से सहमति रखते हैं। कम तापमान, वायुमण्डलीय दबाव, प्रतिरक्षात्मक बदलाव, प्रभावित रक्त प्रवाह आदि को गिना तो गया है, लेकिन इन्हें पूरी तरह जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। जबकी कई अध्ध्यनों में यह पाया गया है कि ठंडे मौसम का दर्द पर गहरा असर पड़ता है। जबकी अन्य अध्ध्यनों के अनुसार, हमारा शरीर ठंड के कारण नहीं बल्कि मौसम में बदलाव पर प्रतिक्रिया देता है। इसलिए इस संबंध को लेकर पूरी तरह कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इस दौरान तापमान, धूप, वायुमण्डलीय दबाव, आद्रता, आहार आदि जैसे कई कारकों में एकसाथ बदलाव आते हैं। मौसम में बदलाव के अलावा गतिविधियों के स्तर और मूड का भी गहरा असर पड़ता है।
सर्दी के मौसम में दर्द से बचाव के लिए खास टिप्स
दर्द से बचाव के लिए जीवनशैली का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए। निम्नलिखित टिप्स की मदद से दर्द की समस्या से बचा जा सकता हैः-
नियमित व्यायाम
सर्दियों में छोटे दिन और अधिक ठंड के कारण लोगों में आलस एक आम समस्या बन जाती है। गतिविधियों में कमी के कारण जोड़ों में जकड़न और दर्द के साथ वजन भी बढ़ता है। शारीरिक गतिविधियों में कमी कुछ ही समय में मांसपेशियों और शरीर को कमजोर बना देता है। जबकी एक्सरसाइज से न सिर्फ मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है, बल्कि शरीर में जरूरी रसायन भी रिलीज होने लगते हैं। इससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है और जोड़ों में लचीलापन बढ़ता है, जिसकी मदद से व्यक्ति हर वक्त स्वस्थ महसूस करता है।
एक्सरसाइज शुरू करने से पहले वॉर्मअप जरूर करें, क्योंकि इससे शरीर को अतिरिक्त गर्माहट मिलती है, जिससे चोट लगने की संभावना कम रहती है। कम और हल्की एक्सरसाइज से शुरुआत करें। आप धीरे-धीरे एक्सरसाइज का स्तर बढ़ा सकते हैं। नियमित रूप से की गई एक्सरसाइज मांसपेशियों और जोड़ों के लिए बेहद फायदेमंद रहती है। जोड़ों का दर्द शुरू हो चुका है, तो कोई भी व्यायाम करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। आमतौर पर, हल्की एरोबिक्स, स्विमिंग, साइकलिंग और टहलना आदि एक्सरसाइज आपके दर्द में राहत देंगी। बाहर के वातावरण से बचने के लिए जिम भी जॉइन किया जा सकता है।
संतुलित वजन
सर्दी का मौसम त्यौहारों और छुट्टियों से भरा होता है, जिसके कारण अक्सर लोग इस मौसम में वजन बढ़ा लेते हैं। जबकी संतुलित वजन जोड़ों में लचीलापन बढ़ाता है और उनपर अतिरिक्त दबाव भी नहीं पड़ता है, जिससे दर्द में राहत मिलती है। संतुलित, स्वस्थ और प्राकृतिक आहार जिसमें जरूरी मिनरल्स और विटामिन जैसे कि कैल्शियम और विटामिन डी जुड़े होते हैं, जोड़ों और हड्डियों के स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन डी हड्डियों की मजबूती, लचीलेपन, नमी आदि के लिए जिम्मेदार माना जाता है इसलिए इसका सेवन बेहद जरूरी है। इसके लिए विटामिन डी के सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं।
समझदारी से गर्म कपड़े पहनें
सर्दी के मौसम में हमारे कपड़े ठंड से बचाव में एक अहम भूमिका निभाते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप शरीर पर कपड़ों का भंडार लगा लें। इस प्रकार के कपड़े पहने जो शरीर को गर्माहट तो दें साथ ही चलने-फिरने में समस्या भी न पैदा करें। भारी और मोटे कपड़ों से काम करना मुश्किल हो जाता है। आप एक साथ कई कपड़े पहन सकते हैं, लेकिन वे भारी बिल्कुल नहीं होने चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि, आप गर्म वातावरण में कपड़ों को कम कर सकते हैं। हाथ और पैरों को ठंड से बचाने के लिए दस्तानों और मोजों का इस्तेमाल करें। बेहतर रक्त प्रवाह, लचीलापन, दर्द में राहत के लिए हीट थेरेपी का इस्तेमाल करें। हॉट वॉटर बॉटल, गर्म पानी से स्नान आदि इसके अच्छे विकल्प हैं।
जल्द से जल्द मदद लें
हम सभी ने यह अनुभव किया है कि ठंडे मौसम में चोट हमें ज्यादा परेशान करती है। इसलिए अपने दर्द को नजरअंदाज न करें, क्योंकि घुटनों और पीठ में हल्का दर्द भी जीवन की गुणवत्ता को खराब करता है। कई बार लोग इसे बढ़ती उम्र की समस्या मानकर इलाज करवाने से परहेज करते हैं, जो समस्या को गंभीर बनाता है। यदि दर्द समय के साथ ठीक नहीं होता है, तो समस्या क्रोनिक हो जाती है। क्रोनिक दर्द से ग्रस्त लोगों का जीवन उस दर्द से राहत पाने की तरफ काम करने में ही निकल जाता है। विश्वस्तर पर, लगभग 20 प्रतिशत आबादी क्रोनिक दर्द का शिकार है। क्रोनिक दर्द खुद में एक अलग बीमारी है, जिसे आमतौर पर गंभीरता से नहीं लिया जाता है। जबकी इसकी रोकथाम और इलाज के लिए कई एडवांस विकल्प मौजूद हैं। एक सही विशेषज्ञ से इलाज कराने से इलाज के परिणाम कहीं बेहतर हो सकते हैं। दर्द प्रबंधन एक अलग विशेषज्ञता है। क्रोनिक दर्द का प्रबंधन कर रहे विशेषज्ञों में इसकी अच्छी समझ होने के कारण मरीज का जीवन बेहतर हो जाता है। मल्टी-डिसीप्लिनरी अप्रोच के साथ इसमें विभिन्न प्रकार के दर्द के लिए अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होते हैं।