चारण समाज की ऐतिहासिक पहल: बेटियों के लिए 4 करोड़ मूल्य की भूमि दान
अधिस्वीकृत पत्रकार गुलाम मोहम्मद, सम्पादक, सेवा भारती, जोधपुर
स्वासनी से स्वावलंबन तक’ – चौपासनी चारणान छात्रावास में भव्य दानदाता सम्मान समारोह सम्पन्न
जोधपुर। जब समाज की बेटी पढ़ती है और बढ़ती है, तभी समाज उत्थान की ओर अग्रसर होता है। जिस समाज में बेटी को ‘स्वासनी’ अर्थात देवी तुल्य मानकर आगे बढ़ने का अवसर दिया जाए, वहाँ प्रगति केवल सपना नहीं, बल्कि एक सुनिश्चित यथार्थ बन जाती है। इसी मूल भावना को साकार करते हुए, स्व. चंडीदान स्मृति स्वाध्याय सवासनी एवं निःशुल्क आवासीय कोचिंग छात्रावास, चौपासनी चारणान, जोधपुर में शनिवार, 31 मई को एक भव्य दानदाता सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
इस आयोजन की सबसे ऐतिहासिक और अनुकरणीय घोषणा उस समय हुई जब स्वर्गीय चंडीदान जी की धर्मपत्नी श्रीमती बालू कंवर एवं उनके सुपुत्र श्री हरिसिंह रतनू द्वारा इस छात्रावास के लिए लगभग चार करोड़ रुपये मूल्य की तीन बीघा भूमि का दान किया गया। इस भूमि का विधिवत हस्तांतरण समारोह में ही सार्वजनिक रूप से किया गया। इस अपूर्व भेंट ने पूरे समारोह को ऐतिहासिक बना दिया और समाज में शिक्षा के प्रति समर्पण की मिसाल कायम की।
इस प्रेरणास्पद आयोजन की अध्यक्षता श्रीमती शैलजा देवल, निदेशक, वन एवं वन्यजीव प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर ने की। मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं आईएएस श्रीमती रतनकंवर गढ़वी को मातृशक्ति वर्ग में भामाशाह सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें पुष्पगुच्छ, शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में आईएएस श्री ललित नारायण सांदू की गरिमामयी उपस्थिति ने समारोह को विशेष ऊँचाई प्रदान की।
*विशिष्ट वक्ता और समाज के प्रेरणादायक स्तंभ*
कार्यक्रम के दौरान मंच पर समाज के अनेक प्रेरणास्पद व्यक्तित्वों ने उद्बोधन दिया। स्वागत भाषण आईएएस श्री राजेंद्र रतनू ने प्रस्तुत किया। आईसीएस श्रीमती प्रियंका चारण ने विशेष संबोधन दिया। कार्यक्रम को आरपीएस श्रीमती सुधा पालावत, आईआईएस डॉ. प्रियंका चारण, जीजेएस श्रीमती चित्रा रतनू, आरएएस श्रीमती सीमा कविया और जिला सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी श्रीमती आकांक्षा पालावत ने भी सम्बोधित किया।
*समाजसेवियों एवं दानदाताओं को मिला सार्वजनिक सम्मान*
समारोह में उन सभी समाजसेवियों और दानदाताओं का सार्वजनिक अभिनंदन किया गया, जिन्होंने इस छात्रावास की नींव रखने और इसे आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाई। सम्मान प्राप्त करने वालों में प्रमुख रूप से स्व. चंडीदान जी के सुपुत्रगण – श्री हरिसिंह रतनू, श्री गोपालदान रतनू और श्री राजेंद्र रतनू (भा.प्र.से.) शामिल थे।
साथ ही अन्य प्रमुख दानदाता और समाजसेवी जिनका सम्मान किया गया, वे थे: श्रीमती सुशीला अखवी (लोलावास), श्री अनोपसिंह लखावत एवं सुश्री निधि लखावत (रेंदड़ी), श्री केसर सिंह पालावत (जयपुर), श्री शैतान सिंह रतनू (सांडा), श्री नरपतसिंह रतनू (बारठ का गांव), श्री भैरुदान (गांगावा), श्रीमती शशि बारहठ (चौपासनी), श्री तेजदान देथा (खारोड़ा, बाड़मेर), श्री नरसिंग दान देथा और श्रीमती रुक्मणी देवी (बाड़मेर), श्री मोहनसिंह एवं श्री देवकरण जी (चारण समाज, सिणधरी – बाड़मेर), श्री महेंद्रसिंह गाडण (फेफाना, हनुमानगढ़), श्री अर्जुनसिंह जुगतावत (पारलू, बालोतरा), श्री महिपाल सिंह लखावत एवं लखावत परिवार (रेंदड़ी), श्री आवडदान सिंढायच (माड़वा, जैसलमेर) और डॉ. रघुवीर सिंह रतनू (जयपुर)।
*गुरुजनों व कर्मयोगियों को मिला विशेष अभिनंदन*
इसके साथ ही, छात्रावास की नींव मजबूत करने वाले शिक्षकों और सेवाकर्मियों को भी मंच पर विशेष सम्मान प्रदान किया गया। इनमें शामिल थे – श्री हरिसिंह रतनू (राजस्थान इतिहास, कला एवं संस्कृति), श्री बी.एल. गुर्जर (राज. सामान्य ज्ञान एवं समसामयिकी), श्री अशोक रतनू (भारतीय इतिहास), श्री महावीर सिंह (विश्व व भारत का भूगोल)। सेवाकर्मी वर्ग में श्रीमती जसु कंवर (प्रधान कुक), श्रीमती चुकी बाई (स्वच्छकत्री) और श्री कुणाल सेन (सहायक) को भी समाज की ओर से आभार स्वरूप सम्मानित किया गया।
*कार्यक्रम की आत्मा बनीं छात्रावास की बालिकाएँ*
छात्रा सविता और अम्बिका की सरस्वती वंदना और डिंगल काव्य की प्रस्तुति से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उनके स्वर और भावनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि बेटियाँ अब केवल शिक्षार्थी नहीं, संस्कृति की संवाहिका भी हैं।
यह आयोजन केवल एक सम्मान समारोह नहीं था, बल्कि यह एक प्रेरणास्रोत था – एक संकल्प कि जब बेटियों को स्वासनी मानकर आगे बढ़ाया जाएगा, तब समाज का भविष्य स्वयं उज्ज्वल होगा। चारण समाज का यह समर्पण न केवल एक पीढ़ी को दिशा देगा, बल्कि अनेक भावी पीढ़ियों को सक्षम और सशक्त बनाएगा।