ध्रुपद गायन व संतूर वादन से सजी मासिक संगीत सभा
• ध्रुपद गायन से बही अध्यात्म की सरिता • दो शब्दों से बना है ध्रुव पद
जोधपुर। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित मासिक संगीत सभा की श्रृंखला में सोमवार की शाम अकादमी सभा भवन में अगस्त माह की संगीत सभा का आयोजन किया गया। अध्यक्ष श्रीमती बिनाका जेश सहित आमंत्रित कलाकारों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन किया गया।
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति युवा संतूर वादक श्री फैमान खान द्वारा दी गई । उन्होंने संतूर वाद्य की बनावट, इतिहास और वादन शैली की बारीकियों पर चर्चा की । उसके पश्चात राग कीरवानी रूपक ताल में प्रस्तुत कर संपूर्ण वातावरण को आनंदमय कर दिया। श्री फैमान संगीतकारों की उस परिवार से ताल्लुक रखते हैं जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रीय संगीत का प्रतिनिधित्व करते आए हैं। संतूर वादन के साथ-साथ वे सारंगी वादन एवं गायन में भी दक्ष हैं।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में जानी मानी शास्त्रीय गायिका श्रीमती रूबी मलिक गोस्वामी ने ध्रुपद गायन की समृद्ध परंपरा को मंच पर साकार किया। अकादमी की लेक्चरर कम डेमोंसट्रेशन की परंपरा को निभाते हुए उन्होंने अपने लेक्चर में बताया कि ध्रुपद को भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे प्राचीन एवं समृद्ध गायन शैली माना जाता है । ये विधा ईश्वर एवं आध्यात्म की ओर ले जाती है । ध्रुवपद दो शब्दों से मिलकर बना है ध्रुव यानी अचल तथा पद यानी साहित्य व कविता ।उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग बिहाग में चौताल में निबद्ध ध्रुपद के साथ की।तत्पश्चात राग बागेश्री में सूल ताल में प्रस्तुति दी।
श्रीमती रूबी मलिक दरभंगा घराने के सांगीतिक परिवार की 13वीं पीढ़ी की प्रतिनिधि ध्रुपद गायिका हैं । संगीत रत्न सम्मान से पुरस्कृत श्रीमती मलिक आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की ख्याति प्राप्त ग्रेडेड कलाकार हैं। तबले पर मोहम्मद कैफ एवं पखावज पर श्री मनमोहन नायक ने संगत की।
अध्यक्ष श्रीमती बिनाका जेश एवं अकादमी सदस्य श्री शब्बीर हुसैन ने कलाकारों का पुष्प गुच्छ एवं मोमेंटो से स्वागत किया। सचिव श्री बैरवा ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम का संचालन शैला माहेश्वरी द्वारा किया गया ।