24वें वार्षिकोत्सव का समापन व सम्मान समारोह आज

आर्य समाज मंदिर, महर्षि पाणिनि नगर मे

जोधपुर। महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जन्म जयंती के पावन उपलक्ष्य में पूंजला, गोकुल जी की प्याऊ स्थित आर्य समाज मंदिर, महर्षि पाणिनि नगर के 24वें वार्षिकोत्सव का तीन दिवसीय आयोजन 104 वर्षीय सन्यासी स्वामी श्रद्धानंद (अलीगढ़), अंतर्राष्ट्रीय आर्य सन्यासी स्वामी सच्चिदानंद, भजनोपदेशक व गायक पंडित दिनेश पथिक (अमृतसर) के सानिध्य में आयोजित हो रहा है।जिसके तहत प्रातःकालीन सत्र में आचार्य वरुण देव (यज्ञ ब्रह्मा) द्वारा वृहद् वृष्टि यज्ञ एवं यज्ञोपदेश का आयोजन हुआ।

प्रधान वीरेंद्र जांगिड़ ने बताया कि तीन दिवसीय आयोजन के दौरान शनिवार व रविवार को प्रातः 8.30 से 12.30 बजे यज्ञ, भजन व प्रवचन, सांय 6 से 7 बजे यज्ञ व संध्योपासना, रात्रि 8 से 10 बजे भजन व प्रवचन आदि कार्यक्रम आयोजित हुए। 17 जुलाई, हरियाली व सोमवती अमावस्या को प्रातः 8 से 10 बजे वृष्टि यज्ञ की पूर्णाहुति, भामाशाह ठाकर नारायण सिंह सांखला (पहाड़ियां बेरा) द्वारा नवनिर्मित मंच का उद्घाटन, प्रातः 10.30 से 1 बजे भजन, प्रवचन, सम्मान समारोह व ऋषि लंगर,
रात्रि 8 से 10 बजे मगरा पूंजला स्थित ठाकुरजी मंदिर में आध्यात्मिक प्रवचन व भजन आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिसमें जोधपुर की समस्त आर्य समाज एवं जोधपुर से बाहर के महर्षि दयानन्द के अनुयायी सम्मिलित होंगे। कार्यक्रम का संचालन शिवराम आर्य कर रहें हैं।

आज दूसरे दिन के आयोजन में स्वामी सच्चिदानन्द ने धर्म की व्याख्या करते हुए बताया कि धर्म केवल एक ही है, सनातन वैदिक धर्म जो अनादि काल से चला आ रहा है, जो सृष्टि के आदि से चला आ रहा है यानी वैदिक धर्म उतना ही पुराना है जितनी यह सृष्टि पुरानी है। योगेश्वर श्री कृष्ण एव मर्यादा पुरुषोतम श्री राम के पहले भी सनातन धर्म था, अर्थात ईश्वरीय वाणी वेद ज्ञान ही सनातन है जो आदि और नित्य है इसलिए अन्य मत पंथों को धर्म कहना असंगत है।
स्वामीजी ने कहा कि देश की आजादी की क्रांति लाने वालों में प्रथम सूत्रधार महर्षि दयानन्द है जिनके शिष्य श्याम और कृष्ण वर्मा प्रथम क्रन्तिकारी थे, जिन्होंने लन्दन में इण्डिया हाउस खोलकर देशप्रेमियों को शरण प्रदान की। लाला लाजपतराय, रामप्रसाद बिस्मिल, शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाषचंद्र बोस आदि सभी आर्य समाज से प्रेरित थे। देश को आजाद करवाने में 85 प्रतिशत योगदान आर्य समाज का रहा है। यह शब्द कांग्रेस का इतिहास लिखने वाले सीता रमैया ने लिखे है !

आर्य समाज कृण्वन्तो विश्वमार्यम यानि दुनिया को श्रेष्ठ बनाने के वेद के आदेश का सन्देशवाहक है। स्वामीजी ने लव जिहाद जैसे मानवता विरोधी कार्यों के प्रति देश में जागरूकता लाने की महती आवश्यकता बताई। स्त्री शिक्षा का महत्व बताते हुए धर्म के नाम पर पाखंड फैलाने वाले गुरुओं से भी सावधान रहने की बात कही, साथ ही नारी मात्र को वेद पाठ करने की आज्ञा वेदों में दी है।
पण्डित दिनेश पथिक ने मधुर ओजस्वी भजनों एवं देशभक्ति गीतों से ऐसा समा बंधा की सभी श्रोता आनन्द विभोर हो गये। पथिक की सुमधुर वाणी से गाये गीतों एवं भजनों से खचाखच भरे आर्य समाज के पंडाल में सभी का दिल जीत लिया, सभी भाव विभोर और देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत हो गये।

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