हजरत रोशन अली शाह दुर्वेश का उर्स मुबारक हर्षोल्लास के साथ मनाया

– दिल्ली के मशहूर कव्वाल नाजिर अली ने मनमोहक कव्वालिया पेश की

– रविवार को दस्तारबंदी व कुल की रस्म के साथ उर्स सम्पन्न

जोधपुर।  उदयमन्दिर आसन स्थित हजरत रोशन अली शाह दुर्वेश रहमतुल्लाह अलैय का 125वां उर्स मुबारक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। वहीं दिल्ली के मशहूर कव्वाल नाजिर अली ने मनमोहक कव्वालिया पेश कर समा बाँधा दिया। रविवार को शाम 5 बजे दस्तारबंदी व कुल की रस्म के साथ उर्स समापन की घोषणा की गई।
सदर मोहम्मद साबीर भाटी ने जानकारी की देते हुए बताया कि हजरत रोशन अली शाह दुर्वेश रहमतुल्लाह अलैय का 125वां उर्स मुबारक हर साल तरह इस साल बड़ी शानों शौकत के साथ मनाया गया। वहीं दिल्ली के मशहूर कव्वाल नाजिर अली ने मनमोहक कव्वालिया पेशकर समा बाँध दिया। ठण्ड के मौसम जायरिनों को कव्वाली सुनने के लिए मजबूर कर दिया।
वहीं इस दौरान सलीम पंवार, शेर मोहम्मद, किस्मत बानों, रियाज खा, इरफान बेली, यासीन उस्ताद, सुबराती उस्ताद, पप्पूजी नेताजी, बिलकिश बानों, अब्दुल रशीद कुरैशी, मोहम्मद शाकीर खान पप्सा, आशिक खान मुन्ना भाई सहित कई गणमान्य नागरिक शिरकत की।
इस दौरान सज्जादाह नशीन हजरत पीर नजमुद्दीन सुलमानी चिश्ती अल फारुकी शहजादा हजरत ख्वाजा अब्दुल लतीफ शाह चिश्ती ने बताया कि समाज में शिक्षा की अलख जगानी होगी, तभी समाज आगे बढ़ेगा और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना होगा और उन्हें आगे बढ़ाना होगा। समाज में फैली कुरीतियों हमें मिटाना होगा। समाज में युवाओं में बढ़ नशे की लत छुड़ाना होगा।
वहीं इस दौरान महफिल समा कव्वाली का प्रोग्राम हुआ जिसमें पगड़ी बंद कव्वाल जफर आमीन साबरी, कव्वाल इरफान तुफैल, कव्वाल शौकत अन्दाज एण्ड पार्टी जोधपुर ने मनमोहक कव्वालिया पेशकर मंत्रमुग्ध कर दिया। रविवार को उर्स समापन के अवसर सभी दस्ताबंदी की गई एवं साफा व माला पहनाकर कमेटी द्वारा इस्तकबाल किया गया। वहीं रविवार को शाम 5 बजे कुल की रस्म अदाकर उर्स समापन की घोषणा की गई।  इस दौरान दरगाह कमेटी के मुकद्दर भाटी, असलम शेर सोलंकी, न्याज भाटी, चाँद मोहम्मद कुरैशी, मोईनुद्दीन, डॉ. धनपत गुर्जर, अब्दुल हमीद, अजीज, इमामुद्दीन, अब्दुल रसीद बैलिम, सईद चौहान, रफीक खन्ना, फारूख बेग, सेमु सैद, अब्दुल लतीफ एकता कमेटी, रमजान कुरैशी, पिन्टू लंगा सहित सभी कार्यकर्ता मौजूद थे। इस मौके पर दरगाह कमेटी के पदाधिकारी, समस्त सदस्यगण, कौम अब्बासियान से जुड़े बुजुर्ग, सरपरस्त, युवागण एवं शहर व आस-पास के कई जायरीन मौजूद रहे।

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