पूनम स्टेडियम में बुधवार रात भर झरेगा रम्मत का अमृत

  • मरु महोत्सव – 2021 : रेत के समन्दर में उमड़ेगा रंग-रसों का ज्वार
  • शताब्दी से अधिक समय से प्रचलित है यह मनोहारी लोकनाट्य

डॉ. दीपक आाचार्य, उप निदेशक (सूचना एवं जनसम्पर्क), जैसलमेर

जैसलमेर। राजस्थान पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन की ओर से आयोजित मरु महोत्सव के इतिहास में पहली बार जैसलमेर की 108 वर्ष पुराना लोकनाट्य रम्मत (जोगराजा भर्तृहरि का ख्याल) का 24 फरवरी, बुधवार को रात 10 बजे पूनम स्टेडियम के मुक्ताकाशी मंच पर मंचन होगा। यह भोर होने तक चलेगा।

 

तेज कवि रचित लोकनाट्य रम्मत (जोग राजा भर्तृहरि ख्याल) का मंचन रसिकों को रात भर मंत्रमुग्ध किए रखकर आनंद के ज्वार में नहला देने वाला है। मारवाड़ी रंगत की जैसलमेर शैली के इस लोकनाट्य रम्मत के मंचन में एक और जहाँ परम्परागत प्रतिष्ठित प्रमुख किरदार अपने अभिनय की छाप छोड़ेंगे वहीं नवोदित कलाकारों का भी इसमें समावेश है।

स्थानीय लोक संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण-संवर्धन के लिए जिला कलक्टर आशीष मोदी की पहल पर इसे मरु महोत्सव में शामिल किया गया है। यह लोकनाट्य अपनी अनूठी गायन प्रधान पारस्परिक संवाद शैली की वजह से प्रसिद्ध है जिसमें कलाकार पद्यमय संवादों को नृत्य के साथ भावपूर्ण अभिनय से प्रदर्शित करते हैं।

इनकी भाव-भंगिमाएं, मुद्राएं और परिधान भी पारंपरिक लोक संस्कृति की झलक दिखाते हुए जी भर कर लोकानुरंजन करते हैं। इसमें महिला पात्रों की भूमिका का निर्वहन भी पुरुषों द्वारा किया जाता है। कलाकारों को सम्बल देने के लिए टेरियों का समूह पूरी रात लोकवाद्यों की संगत पर ऊँचाइयां देता है।

यह है कथानक

उज्जैन के राजा भतर््ृहरि के जीवन प्रसंग पर आधारित लोकनाट्य शैली में लगभग सौ वर्ष पूर्व रचित इस रम्मत का सफल मंचन पूर्व में कई बार जैसलमेर अखाड़े के साथ ही अन्य स्थानों पर भी होता रहा है। इनमें दिल्ली, उदयपुर, पोकरण एवं फलोदी आदि प्रमुख हैं। रम्मत का कथानक राजा भर्तृहरि के श्रृंगार से वैराग्य तक की सम्पूर्ण यात्रा का शब्द एवं भाव चित्र प्रस्तुत करता है। इसमें प्रमुख रूप में राजा भर्तृहरि, रानी पिंगला, विक्रम, गोरखनाथ, कोचवान, वैश्या, बेटी, ब्राह्मण आदि पात्र अपने-अपने अभिनय को बखूबी जीते हैं।

जिला कलक्टर की स्वागत योग्य पहल, सर्वत्र सराहना

स्थानीय लोक कलाओं के संरक्षण, विकास एवं प्रोत्साहन के लिए रम्मत को मरु महोत्सव में शामिल किए जाने की पहल जिला कलक्टर आशीष मोदी की है जिन्होंने मरु महोत्सव में अबकि बार रम्मत के पूर्ण मंचन को शामिल करवाया है।

बुधवार पूरी रात पूनम स्टेडियम में यह रम्मत खेली जाएगी। हालांकि पहले के वर्षों में कुछेक बार रम्मत को शामिल जरूर किया गया था किन्तु उनमें रम्मत के केवल आंशिक व संपादित अंशों का ही मंचन हो पाया था।

मरु महोत्सव के इतिहास में यह पहला अवसर है कि जब रसिक समुदाय पूरी रात पूर्ण रम्मत का आनंद पाएगा। जिला कलक्टर मोदी की इस पहल से लुप्त होती स्थानीय सांस्कृतिक परम्पराओं को सम्बल प्राप्त होगा। लोक संस्कृतिकर्मियों ने जिला कलक्टर की पहल को सराहा है। जैसलमेर अखाड़े में इसका परम्परागत मंचन दशकों से होता रहा है।

व्यापक तैयारियां पूर्ण

संस्थान के अध्यक्ष गोविन्द गोपाल जगाणी एवं सचिव हरिवल्लभ बोहरा ने बताया कि मरु महोत्सव के दौरान कृष्ण कंपनी तेज मण्डली रम्मत कला संस्थान की ओर से मंचित होने वाले रम्मत लोकनाट्य को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई हैं।

स्क्रीन पर होता रहेगा कथ्य प्रदर्शन

टाप प्रमुख हरिवल्लभ शर्मा व राणीदान सेवक के अनुसार दर्शकों की सुविधा के लिए कथानक का लिखित स्वरूप बड़ी स्क्रीन पर कथ्य की साझा समझ के निमित प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि आमजन भी  सहज एवं सरल सुबोधगम्य भाषा शैली में समझ सके तथा रम्मत में दर्शक के रूप में शामिल होकर रसिकजन टेर व गेयता में एकमेक होकर आनन्द के सहभागी बन सकें।

रसिकों से किया आह्वान – रम्मत मंचन में जरूर आएं

संयोजक महेश व्यास ‘‘गोगा माराज’’, वरिष्ठ रम्मत कलाकार कमल आचार्य व रमेश बिस्सा एवं रम्मत कलाकारों ने पर्यटकों, विभिन्न समुदायों, कला-संस्कृति संस्थाओं, रम्मत प्रेमी कलानुरागियों, रम्मत के पुराने खिलाड़ियों व टेरियों तथा आम जन से रम्मत मंचन के दौरान अधिक से अधिक भागीदारी निभाने की अपील की है।

 सोमवार रात हुई बड़़ी तालीम

सचिव हरिवल्लभ बोहरा ने बताया कि बुधवार रात को मंचित होने वाली रम्मत की बड़ी तालीम अर्थात अंतिम पूर्वाभ्यास सोमवार रात को ऎतिहासिक सोनार दुर्ग स्थित अखे प्रोल के रामदेव मंदिर मंडप में हुआ। उल्लेखनीय है कि रम्मत के अनुभवी वरिष्ठ कलाकारों एवं टेरियों(उत्प्रेरकों) के निर्देशन में इसकी तालीम (पूर्वाभ्यास) पिछले 10 दिन से ही रामदेव मन्दिर में रोजाना जारी रही।

लिया जाता है देवी मैया का आशीर्वाद

लोकनाट्य रम्मत मंचन की तैयारियों से लेकर मंचन तक की गतिविधियों में देवी मैया का आशीर्वाद लिया जाता है। माँ हिंगलाज की परम्परागत पूजा कर पहले स्वीकृति ली जाती है तथा श्रीफल वधेरकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इसके उपरान्त ही रम्मत मंचन की तैयारियां शुरू होती हैं।

उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं टेरिये

रंगकर्मी एवं मरु श्री(2013) विजय कुमार बल्लाणी बताते हैं कि पारंपरिक एवं मशहूर लोकनाट्य रम्मत में खिलाड़ियों के उत्साहवर्धन एवं सहयोग में टेरियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। टेरिये पद्यमय संवादों पर थिरकते, आगे बढ़ते हुए कथानक के पद्यमय संवादों को टेर (शाब्दिक जोर) द्वारा ऊँचाइयाँ प्रदान करते हैं, इससे रम्मत का आनन्द बहुगुणित होकर रसिकों को मंत्र मुग्ध किए रखता है। इसमें मंच पर तखत सजता है जिस पर सभी पात्र बैठते हैं।

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Gulam Mohammed

(EDITOR SEVA BHARATI NEWS) ==> Seva Bharti News Paper Approved Journalist, Directorate of Information and Public Relations, Rajasthan, Jaipur (Raj.), Mobile 7014161119 More »

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