जिनशासन के जय-जयकार के साथ निकली आचार्यश्री की प्रवेश शोभायात्रा
बाड़मेर। गुरूजी म्हारो अन्तर्नाद हमने आपो आशीर्वाद, जिनशासऩ के नन्दन कोटि-कोटि वन्दन, जयकारा गुरूदेव का जय-जय गुरूदेव के जयघोष के साथ आचार्य पदारोहण के पश्चात् प्रथम बार खरतरगच्छ की राजधानी बाड़मेर में पधारे वशीमालाणी रत्न शिरोमणि ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीश्वरजी म.सा., मुनि श्री नयज्ञसागरजी म.सा आदि ठाणा के नगर प्रवेश पर जैन एवं जैनतर समुदाय ने स्वागत किया एवं युवाओं ने आचार्य भगवंत को कंधों पर बिठाकर नगर प्रवेश करवाया। नगर प्रवेश को लेकर नगरवासियों में अपने गुरू के प्रति जबरदस्त उत्साह का माहौल नजर आ रहा था। नगर का दृश्य अद्भूत नजर आ रहा था। सम्पूर्ण नगर में तोरणद्वार, र्होडिंग, बैनरों से सजा हुआ नजर आ रहा था। जगह-जगह पर आचार्य भगवंत के स्वागत में गहुंलियां की गई।
इन मार्गो से गुजरी प्रवेश शोभायात्रा- श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास समिति के अध्यक्ष प्रकाशचंद संखलेचा व उपाध्यक्ष मांगीलाल धारीवाल ने बताया कि आचार्य जिनमनोज्ञसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा के बाड़मेर नगर प्रवेश की शोभायात्रा मंगलवार को प्रातः 9.00 बजे स्थानीय जैन भोजनशाला स्टेशन रोड़ से सामैया के साथ प्रारम्भ हुई। आचार्य श्री के प्रवेश की शोभायात्रा जैन भोजनशाला से प्रारम्भ होकर गांधी चैक, सदर बाजार, सब्जी मंडी, लक्ष्मी बाजार, जवाहर चैक, पीपली चैक, दरियागंज, प्रतापजी की पोल होते हुए जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन पहुंची। जिनशासन विहार ग्रुप के युवानों के हाथ में लहराती जिनशासन धर्म ध्वजाएं, मंगल ध्वनियों का वादन करते पदमावती बैंड के बैण्ड वादक और आचार्य भगवंत की धवलसेना, साध्वी श्री प्रियरंजनाश्रीजी म.सा. व उनके पीछे-पीछे चलते गुरू महिमा का गुणगान करते, जिनशासन की जय-जयकार करते भक्तजन, श्रावक-श्राविकाए, जिनशासन विहार सेवा ग्रुप, पाश्र्व मंडल, खरतरगच्छ युवा परिषद, के युवा तथा सिर पर मंगल कलश धारण किए आदिनाथ महिला मंडल, खरतरगच्छ महिला परिषद, जिनशासन जागृति महिला मंच, जिनशासन जागृति युवती मंच, इस शोभायात्रा में शोभायमान थे। बैंड की धुन एवं ढ़ोल की थाप पर गुरूभक्त युवा वर्ग जगह-जगह पर झूम रहे थे। आचार्य श्री को जहां-जहां से शोभायात्रा गुजरी वहां-वहां नगरवासियों द्वारा बधाया गया। शोभायात्रा शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए स्थानीय आराधना भवन पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गई।
गुरू ही सच्चा मार्गदर्शक- आचार्य जिनमनोज्ञसूरीश्वर म.सा. ने कहा कि महापुरूषों के सम्पर्क से भले महापुरूष न बन सके लेकिन उनके समीप जाने से वैराग्य के, संयम के भाव सुवासित अवश्य होगें। सद्गुरूओं की संगति करने से संतो के साथ ज्ञान चर्चा करने से ही इस संसारी भूल भूलैया से निकलने का मार्ग मिल सकता है। आचार्य भगवंत ने कहा कि बाड़मेर से उनका अपनत्व बचपन से है, देश से किसी भी कोने में चले जाए लेकिन बाड़मेर का अपनापन सदैव हृदय में बसा रहता है। साध्वी श्री प्रियरंजनाश्रीजी म.सा. ने भी अपने हृदय के उदगार व्यक्त किए।
गुरूभक्तों ने व्यक्त की भावनाएं- मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश छाजेड़ ने बताया कि धर्मसभा के आरम्भ आचार्य भगवंत के मुखारविंद से मंगलाचरण से हुआ तत्पश्चात् खरतरगच्छ महिला परिषद द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। जेठमल जैन एडवोकेट, नर्मदा छाजेड़, रतनलाल संखलेचा, बाबूलाल छाजेड़, जगदीश पड़ाईया, हर्षा सिंघवी, खरतरगच्छ बालिका परिषद सहित कई वक्ताओं ने आचार्य भगवंत के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने धरती अम्बर गुंज उठे गुरूवर के जयनादों से, प्रणाम इन्हें मैं करता हूं श्रद्धा के दोनों हाथों से.. पंक्तियों के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम का सफल संचालन वीरचंद भंसाली़ ने किया। शोभायात्रा का संचालन भूरचंद बोहरा व मुकेश बोहरा ‘अमन’ द्वारा किया गया। शोभायात्रा में चार चांद लगाने वाले बाड़मेर जैन समाज समस्त मंडलों, आंगतुकों का आभार व्यक्त किया।