स्वाद का सरताज है मोरक्को का अल हनाउत, 20 से अधिक मसालों से किया जाता है तैयार

सेवा भारती समाचार।

गर्म व ठंडी तासीर वाले 20 से अधिक मसालों से मिलकर तैयार हुआ रस अल हनाउत मसाला स्वाद व गंध का संतुलित मिश्रण है। मोरक्को का यह मसाला बढ़ाता है रोटी सलाद से लेकर मिठाई का स्वाद.. पुष्पेश पंत मोरक्को में एक ऐसे मसाला मिश्रण से हमारी मुलाकात होती है जिसे वास्तव में सभी गरम मसालों का सरताज माना जा सकता है। इसके नाम का शाब्दिक अनुवाद है ‘दुकान का राजा’। पारंपरिक नुस्खे के अनुसार, इसमें कम से कम 20 पदार्थ शामिल किए जाते हैं जिनकी संख्या बेहतरीन किस्म के मसाले में 50 तक पहुंच जाती है। इस सूची में जाफरान, गुलाब की पंखुडि़यां, गुलाब की कलियों के साथ शाह (सियाह) जीरा, कपूर, पुदीना, धनिया शामिल हैं। जाहिर हैं भोजन को सुवासित करने वाली छोटी हरी इलायची, सौंफ, लवंग(लौंग), काली मिर्च, दालचीनी, तेजपात, जावित्री -जायफल, चक्री फूल तो मौजूद रहते ही हैं साथ ही हल्दी, कलौंजी और पीपली को भी सम्मानित स्थान मिलता है। इस मसाले को कूटने वाला अपने पारिवारिक नुस्खे को रहस्य ही बनाए रखता है। जनश्रुति के अनुसार इसे हल्का सुरूर देने वाला बनाने के लिए इसमें ग्राहकों की फरमाइश पर भांग भी मिलाई जाती रही है। चूंकि पश्चिमी देशों में इस नशीले पदार्थ का प्रयोग गैरकानूनी है, अत: इसका जिक्र कम होता है।

आदर्श संतुलन का उदाहरण

इस मसाले की जो बात सबसे दिलचस्प है वह इस मसाले में पड़ने वाले पदार्थो की संख्या नहीं है बल्कि यह है कि इसमें गरम और ठंडी तासीर वाले तत्व लगभग बराबर मात्रा में शामिल किए जाते हैं। गंध, स्वाद और रंगों का समायोजन-संतुलन, सबसे बड़ी चुनौती यह नजर आती है कि एक पदार्थ दूसरे पर चढ़ न जाए या उसके प्रभाव को नष्ट या कम न कर दे। यह संतुलन ही उस अद्भुत स्वाद का जादू जगाता है जिसके लिए रस अल हनाउत मशहूर है।

गिनती चुनिंदा मसालों में

मोरक्को सहित पूरे उत्तरी अफ्रीका में इसे मसालों की दुनिया का शाहंशाह माना जाता है। हालांकि आजकल यह मसाला घर-घर में तैयार नहीं होता वरन बाजार में कुछ प्रतिष्ठित ब्रांड वाले उत्पादकों द्वारा प्रस्तुत रेडीमेड बोतलों या पैकेटों में खरीदा जाने लगा है। यहां यह जोड़ना जरूरी है कि अरब के भोजन में गिने-चुने मसालों का ही उपयोग होता है। अफ्रीका महाद्वीप का मसालों से परिचय अरबों ने ही कराया। इस पृष्ठभूमि में रस अल हनाउत जैसे महंगे, स्वाद, सुगंध व तासीर के जटिल समीकरण साधने वाले मसाले का आविष्कार या परिष्कार आश्चर्यजनक लगता है। हालांकि अरब शासक वर्ग में उन खाद्य पदार्थो के प्रति विशेष आकर्षण देखने को मिलता है जिनका प्रभाव कामोत्तेजक या पौरुष को पुष्ट करने वाला समझा जाता है। इस मसाले की तासीर भी कुछ ऐसी मानी जाती है।

बढ़ाता रोटी का स्वाद

पकाने से अधिक इसका उपयोग ऊपर से छिड़कने वाले चूर्ण के रूप में होता है जिसे सलाद, शोरबे में ही नहीं तमाम प्रकार की रोटियों में भी इस्तेमाल किया जाता है। मांस को भूनने के पहले इसका लेप भी लगाया जाता है और माजून नामक एक मिठाई को भी गरिष्ठ बनाने के लिए रस अल हनाउत का उपयोग होता है। इसी नाम का एक मिष्ठान्न सिंधी रसोई की विरासत है जिसे नवविवाहित युगल को खिलाने की परंपरा रही है। यह सुझाना तर्कसंगत है कि अरबों के साथ सदियों पुराने व्यापारिक रिश्तों के जरिए ही इस मसाले के कुछ तत्व यहां तक पहुंचे होंगे।

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Gulam Mohammed

(EDITOR SEVA BHARATI NEWS) ==> Seva Bharti News Paper Approved Journalist, Directorate of Information and Public Relations, Rajasthan, Jaipur (Raj.), Mobile 7014161119 More »

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