बुलंद इरादें से माधवसिंह ने जीती कोरोना की जंग
- सेवा भारती समाचार
पाली। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 162 पर आबाद ढोला गांव के बाहर बने टोल बूथ पर 39 वर्षीय माधवसिंह को देखते हुए एक बारकी यह एहसास नहीं होता कि यह व्यक्ति कुछ दिनों पहले कोरोना सरीकी महामारी को हराकर आज अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है। यह 39 वर्षीय व्यक्ति पाली जिले का पहला कोरोना संक्रमित है। कोरोना की जंग जीतने के बाद से यह व्यक्ति खुद की सेहत का ध्यान रखते हुए रोजाना टोल बूथ पर आने जाने वाले जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री, पानी की बोतल के साथ कोरोना से जागरूकता सीख दे रहा है। प्रशासनिक सोच और सुझबुझ के कारण माधवसिंह जिले के उन कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए एक मिसाल है। जो कोरोना सरीकी महामारी से घबराकर अपने हौश-हवास खो रहे है। माधवसिंह कहते है कि – कोरोना को हराने के लिए घबराहट सबसे बड़ी बाधा है। इस बाधा को आत्मविश्वास के बल पर दूर कर कोरोना महामारी का मुकाबला किया जा सकता है। वे बताते है कि दुबई से मुम्बई लौटने के बाद मुम्बई एयरपोर्ट पर उनकी स्क्रीनिंग की गई थी। वे 19 मार्च को ढ़ोला गांव ट्रेन के माध्यम से पहुंचे थे। मुम्बई से ढ़ोला के सफर में उन्हें खुद के शरीर में बुखार महसुस हुआ। गांव पहुंचते ही उन्होंने रानी पीएचसी चिकित्सकों से परामर्श लिया। यहां से उन्हें जोधपुर जाने की सलाह दी गई थी लेकिन वे जांच के लिए पाली के राजकीय बांगड़ अस्पताल पहुंचे। यहां उनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। जब उन्हें खुद के कोरोना संक्रमित होने का पता चला तो वे बिना घबराएं चिकित्सकों के हर निर्देश का पालन करने लगे। माधवसिंह कहते है कि आज के समय में लोग इस बीमारी से घबराकर स्वस्फूर्त चिकित्सकांे के पास जाने से डरते है। जबकि इस बीमारी से जीत डर को पराजित करने से ही मिल सकती है। माधवसिंह बताते है कि कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद जब उन्हें जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में उपचाररत किया गया था तब उन्होंने भजन सुनने तथा प्राणायाम व योग करने को रोजाना अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया था। अस्पताल में उपचार के दौरान चिकित्सकों व नर्सिंग कर्मियों की हौसला अफजाई तथा रोजाना परिजनों से फोन पर वीड़ियों काॅलिंग के दौरान मिलने वाले संबल के कारण उन्होंने कोरोना जैसी महामारी को पराजित कर दिया। पाली जिले का पहला कोरोना संक्रमित होने के बावजूद उन्होंने डर को खुद पर हावी नहीं होने दिया। इसी का नतीजा निकलना की वे 14 दिन पूरा उपचार लेकर स्वस्थ होकर घर लौटे। उन्होंने कोरोना संक्रमण से लडाई के दौरान प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग द्वारा दिए गए सहयोग को सराहनीय बताया। ढ़ोला गांव के सरपंच मेघा परमार व माधवसिंह के भाई महेन्द्रसिंह बताते है कि कोरोना की महामारी से जंग जीतने के बाद अब माधवसिंह पूरे गांव के लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाते है। इसके अलावा वे ग्रामीणों को साफ-सफाई, सेनेटाईजेशन तथा एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने की सलाह भी देते है। यहां ये जानने योग्य है कि ढोला गांव निवासी माधवसिंह रेडिमेंट गारमेंट के व्यावसायी है। कारोबार के लिहाज से वे दुबई गए थे जहां से कोरोना का संक्रमण उनके साथ लौटा।