शान्त विचार धीरे-धीरे हमारे मन को ही बदल देते हैं

गम्भीर परिस्थितियों में मन का शान्त रहना इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को किसी भारी व्यक्ति का सहारा मिल गया है। शान्त मन रहने से प्रतिकूल परिस्थितियां थोड़े ही काल में अनुकूल परिस्थितियों में परिणत हो जाती है। शान्त लोगों की शक्ति का दूसरे लोगों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वास्तव में हमारी ही शक्ति दूसरे की शक्ति के रूप में प्रकाशित होती है। यदि किसी व्यक्ति का निश्चय इतना दृढ़ हो कि चाहे जो परिस्थितियां आवें उसका निश्चय नहीं बदलेगा तो वह अवश्य ही दूसरे व्यक्तियों के विचारों को प्रभावित करने में समर्थ होगा। जितनी ही किसी व्यक्ति की मानसिक दृढ़ता होती है उसके विचार उतने ही शान्त होते हैं और उसकी दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति उतनी ही प्रबल होती है। शान्त विचारों का दूसरों पर और वातावरण पर प्रभाव धीरे-धीरे होता है। उद्वेगपूर्ण विचारों का प्रभाव तुरन्त होता है। हम तुरन्त होने वाले प्रभाव से विस्मित होकर यह सोच बैठते हैं कि शान्त विचार कुछ नहीं करते और उद्वेगपूर्ण विचार ही सब कुछ करते हैं। पर जिस प्रकार किसी बीज को वृक्ष रूप में परिणत होने के लिए शान्त शक्तियों को काम करने की आवश्यकता होती है, इसी प्रकार किसी विचार को फलित होने के लिए शान्त होने की आवश्यकता होती है और उसका कार्य अवश्य जगत में होता है।शान्त विचारों से शरीर में आश्चर्यजनक परिवर्तन हो जाते हैं। एक लेखक का एक मित्र 20 वर्ष का युवक हो चुका था। इस समय भी वह ऊंचाई और मोटाई में एक चौदह वर्षीय बालक के समान लगता था। उसने किसी शुभ चिन्तक के सुझाने पर नियमित रूप से व्यायाम करना प्रारम्भ किया। थोड़े ही दिनों में वह चार इंच बढ़ गया और उसका शरीर भी पुष्ट हो गया। उसकी समझ थी कि व्यायाम ने उसे बढ़ा दिया। इसमें कोई सन्देह नहीं कि व्यायाम से उसे लाभ हुआ, पर उससे भी अधिक लाभ उसके निश्चय से हुआ। इस निश्चय के कारण प्रतिदिन के शान्त विचार उसकी भावना को प्रयत्न करते गये और इस प्रकार उसके शरीर में मौलिक परिवर्तन होते गये।हम जो कुछ सोचते हैं उसका स्थायी प्रभाव हमारे ऊपर तथा दूसरों के ऊपर पड़ता है। शान्त विचार धीरे-धीरे हमारे मन को ही बदल देते हैं। जैसे हमारे मन की बनावट होती है वैसे ही हमारे कार्य होते हैं। और हमारी सफलता भी उसी प्रकार की होती है। हम अनायास ही उन कार्यों में लग जाते हैं जो हमारी प्रकृति के अनुकूल है और उन कार्यों से डरते रहते हैं जो हमारी प्रकृति के प्रतिकूल है। अपने स्वभाव को बदलना हमारे हाथ में है। यह अपने शान्त विचारों के कारण बदला जा सकता है। स्वभाव के बदल जाने पर मनुष्य को किसी विशेष प्रकार का कार्य करना सरल हो जाता है।

 

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Gulam Mohammed

(EDITOR SEVA BHARATI NEWS) ==> Seva Bharti News Paper Approved Journalist, Directorate of Information and Public Relations, Rajasthan, Jaipur (Raj.), Mobile 7014161119 More »

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