कुल की रस्म के साथ उर्स संपन्न

सूफी संत ख्वाजा अब्दुल लतीफ शाह साहिब नज़मी सुलेमानी चिश्ती रहमतुल्लाहि अलेह

जोधपुर। सूफी संत ख्वाजा अब्दुल लतीफ शाह साहिब नज़मी सुलेमानी चिश्ती रहमतुल्लाहि अलेह का 121 वा उर्स अकीदत व एहतराम के साथ आज कुल की रस्म के साथ संपन्न हो गया। उर्स के आखरी दिन अकीदतमंद जायरीन का सैलाब दरगाह की तरफ उमड़ पड़ा।

दरगाह प्रवक्ता अमजद खान ने बताया कि ख्वाजा अब्दुल लतीफ शाह साहिब नज़मी सुलेमानी चिश्ती अल फारुकी रहमतुल्लाहि अलैहि का सात दिवसीय उर्स पीर मोहम्मद नजमुल हसन अल लतीफी व पीर मोहम्मद अबुल हसन मिनाई की सरपरस्ती में अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया।  मंगलवार को आम लोगों के लिए लंगर का आयोजन किया गया जिसमे बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। महफीले मिलाद के प्रोग्राम में कव्वालों ने अपने अपने कलाम पेश किए। देर रात तक चले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और वॉलिंटर्स का दस्तरबंदी कर सम्मान किया गया। समाचार लिखे जाने तक कुल की रस्म जारी थी बड़ी संख्या में जायरीन कुल की रस्म में शरीक हुए। दरगाह अजमेर के सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती की अध्यक्षता में उर्स समाप्ति की आखरी रस्म के साथ ही उर्स समाप्ति की विधिवत घोषणा दरगाह नाजिम द्वारा को गई। उन्होंने आम जायरीन और सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

उर्स के आखरी दिन बड़ी महफिल में बड़ी महफिल में पीर बैतुल्लाह मिनाई, सय्यद मोह्यूद्दीन अशरफी, सय्यद वसीम अहमद, सय्यद नूर मिया अशरफी, मौलाना अबुल कलाम नूरी, हाफिज रिजवान नूरी, पीर कमरूल हसन मिनाई, पीर इस्हाक साहब, पीर अब्दुल रज्जाक मिनाइ, पीर वाहिद मीनाई, अय्यूब मिनाई, अय्यूब खान दिल्ली, जलालुद्दीन खान, जियाउद्दीन खान, हासीब हुसैन चिश्ती, सोनू खान, हमीद मिनाई, हिदायतुल्लाह, मास्टर मोहम्मद हसनैन, अब्दुल्लाह सिद्दीकी, अमजद खान की दस्तारबंदी की गई तथा इनके अलावा कई गणमान्य प्रबुद्धजन एवं जायरीन उपस्थित रहे। प्रदेश और देश की तरक्की, प्रेम सौहार्द, सांप्रदायिक सौहार्द कायम रहने की दुआ के साथ ही उर्स समाप्ति की विधिवत घोषणा की गई। दरगाह नाजिम पीर अबुल हसन मिनाई ने बताया की ये एक इत्तेफाक है की 122वा उर्स इसी साल 2024 के दिसंबर में मनाया जायेगा। 

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