विश्नोई समाज की केन्द्र सरकार से ओबीसी में शामिल करने की मांग

जोधपुर। चुनावी वर्ष के दौरान विश्नोई समाज ने इस बार केन्द्र में अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग की है।
विश्नोई जाति केन्द्रीय ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति राजस्थान के संयोजक सहीराम विश्नोई, श्रीमहंत शिवदाज शाी मार्ग दर्शक और समिति के अध्यक्ष विक्रमसिंह विश्नोई ने बताया कि बिश्नोई जाति के प्रतिनिधि पिछले लगभग 23 वर्षों से केन्द्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में बिश्नोई जाति को सम्मलित करवाने हेतु प्रयासरत हैं ।

अब बिश्नोई जाति के प्रतिनिधियों द्वारा निर्णय लिया गया है बिश्नोई जाति को केन्द्र ओ. बी. सी. आरक्षण संघर्ष समिति राजस्थान के नेतृत्व में 23 जुलाई को प्रात: 11 बजे बेटी संस्थान, पावटा, जोधपुर पर बैठक रखी गई है जिसमें केन्द्र में बिश्नोई जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में सम्मलित करने की आगामी रणनीति पर विचार किया जायेगा। इस बैठक में सम्पूर्ण राजस्थान के बिश्नोई जाति के प्रतिनिधियों को आमन्त्रित किया गया है। यहां यह भी उल्लेख किया जाना उचित रहेगा कि राजस्थान में लगभग 35 विधानसभा एवं 7 लोकसभा क्षेत्रों में बिश्नोई जाति के प्रभावी संख्या में मतदाता निवास करते हैं। उन्होने बताया कि भारतवर्ष में बिश्नोई जाति राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात, महाराष्ट्र एवं दक्षिण के अन्य राज्यों में निवास करते हैं। वर्तमान में राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में राज्य स्तर पर बिश्नोई जाति अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में सम्मलित है।

राजस्थान में 1 जनवरी 2000 को तत्कानीन सरकार द्वारा विश्नोई जाति को पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में सम्मलित किया गया। तत्पश्चात् राजस्थान के बिश्नोई जाति के प्रतिनिधियों द्वारा केन्द्र में अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में सम्मलित करने हेतु राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग भारत सरकार नई दिल्ली को निवेदन किया गया। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सुनवाई कर 25 फरवरी 2000 को भारत सरकार को विश्नोई जाति को कन्द्रीय पिछड़ा वर्ग सूची में योग्य नहीं मानते हुए अपनी सिफारिश भेजी गई। इसके बाद में बिश्नोई जाति के प्रतिनिधियों द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को उनकी उक्त सिफारिश 25 फरवरी 2000 पर पुनर्विचार करने हेतु निवेदन किया गया।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा उक्त सिफारिश पर पुनर्विचार करते हुए अपने पत्रांक 2ॅ1 मई 2012 के द्वारा कुछ अतिरिक्त सूचना मांगी गई जो बिश्नोई जाति के प्रतिनिधियों द्वारा 30 जनवरी 2014 को प्रस्तुत की गई जिसमें आयोग के पूर्व सिफारिश 25 फरवरी 2000 में उठाये गये बिन्दुओं के सम्बन्ध में विस्तृत बिन्दुवार प्रत्युतर दिया गया ।
इसी क्रम में राजस्थान राज्य सरकार द्वारा अपने पत्र दिनांक 26-03-2021 के द्वारा राजस्थान राज्य की बिश्नोई / विश्नोई जाति को केन्द्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में सम्मलित करने के सम्बन्ध में अपनी अभिशंषा भिजवा दी गई है।
इसी सन्दर्भ में उल्लेख किया जाना उचित रहेगा कि राष्ट्रीय स्तर की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में राजस्थान की जाट, कलबी, मेव, यादव, गुर्जर आदि कास्तकार जातियों को पूर्व में ही सम्मलित की जा चुकी है। जबकि बिश्नोई जाति सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक दृष्टि से उक्त जातियों से ज्यादा पिछड़ी हुई है। राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा राज्य सरकार को प्रेषित छ:ठे प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि राजस्थान में बिश्नोई जाति मूल रूप से जाट जाति से निकली हुई है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के जनगणना वर्ष 1891 के तहत मारवाड़ क्षेत्र की जातियों के वर्णन में बिश्नोई जाति का वर्णन में स्पष्ट उल्लेख है कि विश्नोई समाज वास्तव में जाट ही है।

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