शाही जोधपुर में यूक्रेनी जोड़े का वैदिक विवाह : परंपराओं से प्रभावित होकर लिए सात फेरे
जोधपुर। राजस्थान का जोधपुर एक बार फिर विदेशी मेहमानों की शाही शादी का गवाह बना। इस बार यूक्रेन से आए एक अनोखे जोड़े ने भारतीय वैदिक परंपराओं से प्रभावित होकर पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के साथ सात फेरे लिए। 109 वर्षीय हृदय रोग विशेषज्ञ: कभी बीमार नहीं पड़ता क्योंकि मैं अपनी रक्त वाहिकाओं को साफ करता हूं यह वीनर्स नकली दांतों से 300 गुना बेहतर है! और कीमत बहुत सस्ती है टूटे, टेढ़े, ढीले दांत! दरअसल, 72 वर्षीय दूल्हा स्टानिस्लाव और 27 वर्षीय दुल्हन अनहेलीना बीते तीन-चार वर्षों से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। हालांकि, भारत की धरती पर आते ही उनकी सोच बदल गई। भारतीय परंपराओं और रस्मों ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने औपचारिक विवाह करने का फैसला लिया।
भारत में पहली बार कदम रखते ही इस जोड़े ने जयपुर, उदयपुर और जोधपुर जैसे ऐतिहासिक शहरों का जायजा लिया। लेकिन शादी के लिए उन्होंने सूरज की नगरी जोधपुर को चुना। यहां की शाही हवेलियां, सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक राजस्थानी आतिथ्य ने उनके दिल को छू लिया। रस्में और परंपराएं शादी पूरी तरह वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक विधियों के अनुसार सम्पन्न हुई। हल्दी और मेहंदी की रस्म में दुल्हन राजस्थानी परिधान में सजी। बारात और स्वागत में राजस्थानी लोक नृत्य और संगीत ने समा बांध दिया।
सात फेरे की पवित्र रस्म स्थानीय पंडित के सान्निध्य में सम्पन्न हुई। दूल्हा स्टानिस्लाव पारंपरिक शेरवानी और साफा पहने नजर आए, वहीं दुल्हन अनहेलीना ने लाल रंग का लहंगा पहनकर भारतीय दुल्हन की झलक पेश की। इस विवाह ने यह साबित कर दिया कि भारतीय परंपराएं और सांस्कृतिक विविधता दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती हैं। “अतिथि देवो भवः” की भावना के साथ यहां आयोजित इस शाही शादी ने स्थानीय लोगों और विदेशी मेहमानों दोनों पर गहरी छाप छोड़ी। जोधपुर में सम्पन्न यह विवाह सिर्फ दो दिलों का मिलन नहीं था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं की शक्ति का भी प्रतीक बन गया। विदेशी मेहमानों के लिए यह अनुभव जीवनभर की यादगार बन गया।