ब्रेन डेडे रोगी के परिजनों से कई घरों के चिराग बच सकते है : डा. सुरेन्द्रसिंह

जोधपुर। भारत सरकार के दिशा निर्देश अनुसार जुलाई माह को अंगदान जागरूकता माह  के रूप में मनाया जा रहा है। इसी संदर्भ में आज डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज की ट्रांसप्लांट टीम के सदस्यों के द्वारा ऐश्वर्या कॉलेज, कमला नेहरू नगर जोधपुर में अंग दान जागरूकता लेक्चर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में नेफ्रोलॉजी विभागध्यक्ष डॉक्टर सुरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि अंगदान केवल वेंटिलेटर पर रहे ब्रेन डेड मरीज से ही लिया जा सकता है।  उन्होंने ब्रेन डेड  मरीज को चिन्हित करने की कानूनी और मेडिकल प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी छात्र- छात्राओं को दी। यह आज के समय में सबसे बड़ा पुण्य का कार्य साबित हो सकता है क्योंकि किसी ब्रेन डेड रोगी के परिजनों द्वारा लिया गया यह निर्णय कई घरों के बुझते चिरागों को नया जीवन और नई रोशनी प्रदान कर सकता है। सिर्फ सरकार के द्वारा चिन्हित अस्पतालों में पूर्व निर्धारित चिकित्सक कमेटी द्वारा घोषित ब्रेन डेड रोगियों से ही अंग लिऐ जा सकते हैं और यह अंग कम से कम 9 से 11 लोगों की जान बचा सकते हैं।
यूरोलॉजी विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर गोवर्धन चौधरी ने अंगदान की ऑनलाइन शपथ के बारे में विस्तार से बताया। अंगदान  की शपथ भारत सरकार की वेबसाइट पर ली जा सकती है। इस प्रक्रिया में आधार ओटीपी की जरूरत पड़ती है और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी करने पर डिजिटल सर्टिफिकेट भी मिलता है जिसका इस्तेमाल लोग सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाने के लिए कर सकते हैं।
हालांकि अंगदान की परिस्थिति अगर किसी परिवार के सामने आती है तो परिजनों की सहमति ली ही जाती है और शपथ लेने पर भी अंगदान की विधिक प्रक्रिया और सहमति में कोई फर्क नहीं आता है ।इस अवसर पर सौ से अधिक विद्यार्थियों ने अंगदान की ऑनलाइन शपथ ली ।अंत में कार्यक्रम का धन्यवाद संबोधन करते हुए कॉलेज लॉ डिपार्टमेंट की शिक्षिका डॉ नीलिमा जी ने सभी  का आभार प्रकट किया।

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