जोधपुर में मुस्लिम समाज की शादियों में बढ़ती कुरीतियों व फिजूलखर्ची पर रोकथाम हेतु संगोष्ठी आयोजित

अधिस्वीकृत पत्रकार गुलाम मोहम्मद, सम्पादक, सेवा भारती, जोधपुर

सादगी, समझदारी और समाज सुधार पर उलेमा व समाजजन ने दिए अहम संदेश

जोधपुर। मुस्लिम समाज में शादी-ब्याह के आयोजनों में बढ़ रही कुरीतियों, डीजे-बैण्ड, नाच-गाने और फिजूलखर्ची जैसी सामाजिक बुराइयों की रोकथाम को लेकर इस्लाहे मुआशरा और आध्यात्मिक इस्लामी संस्थान द्वारूल उलूम इस्हाकिया के तत्वावधान में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन पाल लिंक रोड स्थित मौलाना अबुल कलाम आजाद मुस्लिम स्कूल परिसर में किया गया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता मुफ्ती-ए-आज़म राजस्थान मौलाना शेर मोहम्मद खान रिजवी ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस्लाम सादगी का धर्म है और समाज में बढ़ती दिखावे की प्रवृत्ति न केवल गैर-इस्लामी है, बल्कि सामाजिक बुराई भी है। उन्होंने उलेमा और आम लोगों से अपील की कि ऐसी शादियों से दूरी बनाकर समाज को सही दिशा दिखाएं।

बिलाल मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल्लाह ने कुरआन की शिक्षाओं का हवाला देते हुए कहा कि बुराई को रोकना हर मुसलमान की जिम्मेदारी है। लायकान मस्जिद के इमाम मौलाना फयाज अहमद रिजवी ने जुआ, शराबखोरी जैसी बुराइयों पर चिंता जताई और समाज में प्रेमपूर्वक सुधार की अपील की।

मौलाना मोहम्मद साजिद ने कहा कि उलेमा ए किराम हर स्तर पर समाज सुधार में सहयोग करते हैं, लेकिन सफलता तभी मिलेगी जब समाज के बुजुर्ग और नौजवान मिलकर बुराइयों के खिलाफ एकजुट होंगे। शाहिद खान सिंधी ने कहा कि जिन आयोजनों में सामाजिक कुरीतियां हों, वहां शरीक न होकर विरोध जताना चाहिए।

संगोष्ठी में शहर के विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों — पठान खान मेहर, सलीम पंवार, शहाबुद्दीन मेहर, मोहम्मद युसुफ गट्टसा, निसार अहमद कुरैशी, मोहम्मद अली, सलीम मेहर, कमरुद्दीन सोलंकी, इरफान कुरैशी, मोहम्मद इमरान, एडवोकेट मोहम्मद अकबर आदि — ने भाग लिया और समाज सुधार के लिए सामूहिक संकल्प लिया।

यह संगोष्ठी इस्लाहे मुआशरा के युवाओं की ओर से समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक सशक्त पहल के रूप में देखी जा रही है।

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