कामयाबी के 40 वर्ष: जेके व्हाइट सीमेंट की नवाचार और सतत् विकास की विरासत
गोटन – व्हाइट सीमेंट इंडस्ट्री में बाजार की अग्रणी कंपनी जेके व्हाइट सीमेंट अपनी स्थापना के 40 वर्ष पूरे करने का जश्न मना रही है। कंपनी के ये 40 वर्ष अद्वितीय नवाचार, सतत् विकास के लिए प्रतिबद्धता और सामुदायिक सशक्तिकरण की मिसाल हैं। यह उपलब्धि एक मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट से लेकर वैश्विक दिग्गज बनने के सफर और दुनिया के 37 देशों तक अपने उत्पादों को पहुंचाने की क्षमता को दर्शाता है।
इस अवसर पर गोटन में जेके व्हाइट सीमेंट की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम प्रगति और सामुदायिक विकास के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कार्यक्रम में सिंघानिया परिवार के प्रमुख सदस्य शामिल हुए जिनमें वाइस चेयरमैन डॉ. निधिपति सिंघानिया, एमडी डॉ. राघवपत सिंघानिया और ज्वाइंट एमडी और सीईओ श्री माधवकृष्ण सिंघानिया शामिल रहे। सिंघानिया परिवार ने कंपनी की सफलता के लिए सभी हितधारकों के प्रति आभार जताया। इस कार्यक्रम में देशभर से 2700 से ज्यादा मेहमान पधारे, जिनमें कर्मचारी, कर्मचारियों के परिवार और अन्य पदाधिकारी शामिल थे। स्थापना के 40 वर्ष पूरे होने के जश्न के अवसर पर जेके व्हाइट सीमेंट ने सतत् विकास और सामुदायिक सहभागिता के प्रति अपना समर्पण दर्शाते हुए 400 पेड़ लगाए, स्वच्छ पेय जल की उपलब्धता और स्थानीय निवासियों के लिए चिकित्सा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। आगंतुक मेहमानों का स्वागत लाला कमलापत सिंघानिया एजुकेशन सेंटर (एलकेएसईसी) के विद्यार्थियों की ओर से प्रस्तुत सांस्कृतिक प्रस्तुति से किया गया। एक मनमोहक ड्रोन शो और प्रसिद्ध सिंगर शान का कॉन्सर्ट भी इस दौरान आयोजित किया गया।
श्री नितीश चोपड़ा, बिजनेस हेड, पेंट्स और व्हाइट सीमेंट बिजनेस, ने कहा, “जेके व्हाइट सीमेंट की 40 साल की यात्रा वाकई अनूठी रही है और इसने न केवल निर्माण सामग्री उद्योग में, बल्कि गोटन के स्थानीय समुदाय पर भी एक परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है। व्यवसाय के मोर्चे पर, हमने महत्वपूर्ण क्षमता विस्तार, स्थायी उपभोक्ता ब्रांडों का निर्माण, टाइल एडहेसिव्स और ग्राउट्स, निर्माण रसायन, डेकोरेटिव पेंट्स आदि को शामिल करने के लिए हमारे उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार देखा है, जिससे हम एक समग्र गृह-सुधार और सौंदर्यीकरण समाधान प्रदाता बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जेके व्हाइट सीमेंट वर्क्स और गोटन के लोगों की नियति आंतरिक रूप से एक दूसरे से जुड़ी हुई है, एक ऐसा बंधन जो समय के साथ मजबूत हुआ है और जिसने पूरे सामाजिक-आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध किया है।”