जीरावला तीर्थ में 425 तपस्वियों ने पहली तप मोक्ष माला

संघवी पार्वती बेन लीलचंद जी हुक्मीचंद जी परिवार ने 47 दिवसीय उपधान तप करवाया

पहली मोक्षमाला पहनाने का बना नया इतिहास

सिरोही। जगजयवंत श्री जीरावला पार्श्वनाथ महातीर्थ में रविवार को 47 दिवसीय उपधान की मोक्षमाला हुई ओर सभी 425 तपस्वियों को उपधान तप की निश्रादाता आचार्य भगवंत यशोविजयसूरीजी म. सा. ने पहनाकर तपस्वियों को आर्शीवाद प्रदान किया। यह उपधान मालगावं निवासी संघवी पार्वती बेन लीलचंदजी हुक्मीचंद जी बाफना, परिवार की ओर से आयोजित किया गया। आचार्य भगवंत मुनिचन्द्रसूरीजी, राजपुण्यसूरीजी एवं भाग्येश विजयसूरीजी महाराज एवं अनेक साधु-साध्वी भगवांतो ने वास्क्षेप प्रदान कर सभी तपस्वियों को आर्शीवाद देते हुऐ कहा कि 47 दिन की तपस्या के बाद वे अपने जीवन में इसी तरह धर्म आराधना करते रहे।

प्रथम माला उपधान तपस्वी मीना बेन बकुल भाई थराद को सविता बेन वाड़ीलाल भाई शाह ने पहली मोक्षमाला पहनाकर जिनशासन का एक नया इतिहास रचा।

उपधान तप के आयोजक परिवार के संघवी प्रकाश भाई, रमेश भाई एवं सुरेश भाई लीलचंदजी बाफना ने सभी 425 आराधको का विशिष्ठ बहुमान कर उनके तप-आराधना की अनुमोदना करते हुऐ उपधान के लिए जीरावला पधारने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उपधान तप की पूर्णाहुति के पूर्व शनिवार शाम को श्री जीरावला पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट मंडल, संघवी भेरूतारक धाम ट्रस्ट, श्री मालगांव जैन संघ ट्रस्ट मंडल, श्री पावापुरी तीर्थ जीव मैत्रीधाम ट्रस्ट मंडल की ओर आयोजक संघवी परिवार के सभी परिजनो का मला, साफा, शाल पहनाकर व अभिनंदन पत्र भेंट कर उपधान तप की अनुमोदना करते हुऐ स्वागत किया गया। इस अवसर पर जीरावला ट्रस्ट के चेयरमेन रमण भाई, भेरूतारक धाम ट्रस्ट के चेयरमेन संघवी मोहनलाल भेरमलजी बाफना, पावापुरी ट्रस्ट के चेयरमेन किशोर एच. संघवी एवं मालगांव जैन संघ ट्रस्ट के सदस्यगण उपस्थित थे। आयोजक परिवार के संघवी प्रकाश भाई लीलचंदजी हुक्मीचंदजी बाफना ने उपधान तप के सफल आयोजन के लिए सभी का आभार व धन्यवाद व्यक्त करते हुऐ कहा कि परमात्मा की असीम कृपा व पूज्य गुरूदेव यशोविजयजी म. सा. व सभी गुरूभगवंतो से मिले आर्शीवाद से यह उपधान एक यादगार बना ओर इससे मालगांव का गौरव बढा जिसका हमे गर्व हैं।

47 दिन तक 425 तपस्वियों ने साधु जीवन कैसे जीया जाता है उसका प्रशिक्षण लेकर अपनी आत्मा को निर्मल बनाया। संघवी परिवार की उदारता की सभी तपस्वियों, श्रावक व श्राविकाओं ने खूब खूब अनुमोदना की ।

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