जोधपुर सेन्ट्रल जेल में भाइयों को दी राखी व मिठाई
जोधपुर सेन्ट्रल जेल में बहनें नहीं बांध पाई राखी
जोधपुर। जोधपुर सेन्ट्रल जेल में कोरोना व लॉक डाउन में लागू आदेश अभी तक बरकरार है। यही वजह है कि रक्षा बंधन पर बुधवार को महिलाएं व युवतियां बंदी भाइयों को राखी नहीं बांध पाईं। वे भाइयों से सिर्फ मिल पाईं और उन्हें राखी व मिठाई भिजवाकर लौट आईं।
राखी के उपलक्ष में सुबह से महिलाएं व युवतियों जेल में बंद भाइयों से मिलने जेल पहुंचना शुरू हो गईं। जेल के बाहर इंतजार करने के बाद उन्हें बंदियों से मिलने और राखी-मिठाई देने की छूट दी गई।
महिलाएं व युवतियां जेल पहुंची, जहां उनके सामान की बारीकी से तलाशी ली गई। स्कैनर मशीन से जांच के बाद राखी व मिठाई लेकर बहनें मुलाकात कक्ष में पहुंची, जहां सलाखों के पीछे बंद भाइयों से मिलवाया गया। भाई-बहनों की आंखों में आंसू आ गए। भारी मन से बहनों ने भाइयों को राखी व मिठाई दी और फिर लौट आईं। कोरोना से पहले तक जेल में राखी के उपलक्ष में बहनों को बंदी भाइयों से मिलाने की अलग व्यवस्था की जाती थी।
जेल परिसर में ही सुरक्षा के बीच बहनें भाइयों को राखी बांधती थी और मुंह भी मीठा करवाती थी। कुछ देर सुख-दुख की बातचीत करने के बाद बहनें व अन्य परिजन लौट जाते थे। कोविड-19 के दौरान जेलों में भी संक्रमण होने लग गया था। नए बंदियों को क्वॉरंटीन करने के बावजूद जेलों में बंदी कोरोना से ग्रसित होने लगे थे। तब संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जेलों में बंदियों व कैदियों को परिजन से मिलने पर रोक लगाई थी। वहीं, राखी पर आने वाली बहनों को भी राखी बांधने से रोक दिया गया था। कोरोना समाप्ति पर बंदियों से मिलने की रोक तो हट गई, लेकिन राखी पर बंदी भाइयों से मिलकर राखी बांधने पर अभी भी रोक ही है।
‘कोरोना के दौरान बंदियों को बहनों से मिलने पर रोक लगाई थी। जेल में बंदियों को उनकी बहनों से मिलवाया गया है। मुलाकात कक्ष में मिलने के बाद राखी व मिठाई संबंधित बंदी को भिजवाईं गईं।’
– राजपालसिंह, जेल अधीक्षक जोधपुर सेन्ट्रल जेल।