शिक्षा का उद्देश्य समाज और राष्ट्र का उत्थान : न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्थल
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर का दीक्षांत समारोह
जोधपुर। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर का पन्द्रहवां दीक्षांत समारोह रविवार को विश्वविद्यालय प्रांगण में राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्थल, अकादमिक समिति, कार्यकारी समिति, साधारण सभा एवं माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की उपस्थिति में आयोजित हुआ।
पदक और उपाधियाँ वितरित
दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय द्वारा 111 स्नातक उपाधियां, 47 विधि स्नात्तकोत्तर उपाधियां, विधि क्षेत्र में 3 पी.एच.डी. उपाधियां तथा 18 विद्यार्थियों को एम.बी.ए. (बीमा) उपाधियां प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त विभिन्न पाठ्यक्रमों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले 22 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किये गये।
राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री मित्थल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की उक्ति ‘‘युवा बदलाव के एजेंट हैं‘‘ को उद्धृत करते हुए कहा कि हमारे आस-पास की दुनिया इतनी तेजी से बदल रही है कि हम कल्पना में भी नहीं कर सकते। हम जैसे पुराने अनुभवी को युवा शक्ति की भागीदारी की आवश्यकता है जो अंधेरे आकाश में उल्कापिंड की तरह चमक रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र ही नहीं वरन् पूरा विश्व युवाओं को इस अनिश्चित समय में परिवर्तन के दूत के रूप में देख रहा है। दुनिया द्वारा पिछले कुछ वषोर्ं से झेली जा रही समस्याओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल अपना स्वयं का व्यक्तिगत या पेशेवर उत्थान न होकर समाज और राष्ट्र का उत्थान हो, यह विद्यार्थियों को सुनिश्चित करना चाहिए।
महान परंपराओं की नींव पर टिका है यह पेशा
उन्होंने कहा कि विधि क्षेत्र एक कुलीन पेशा है, जिसकी नींव हमारी महान परम्पराओं पर टिकी है। यह न तो व्यापार है, न वाणिज्य और न ही स्वयं की खोज, यह उस कल्याणकारी राज्य की बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसका हम अनुमोदन करते हैं।
सिद्धान्तवादी रहें, अनवरत प्रगति के प्रयास करें
उन्होंने समस्त छात्रों से आह्वानमूलक संदेश दिया कि अपने मूल्यों पर कभी समझौता नहीं करना चाहिए एवं कार्यक्षेत्र में प्रगति के लिए निरन्तर प्रयासरत रहना चाहिए।
भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश का बधाई संदेश
इस अवसर पर कुलपति प्रो. पूनम सक्सेना द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय जस्टिस ड. डी. वाई. चन्द्रचूड़ द्वारा प्रेषित संदेश का वाचन किया गया। संदेश में 2022 सत्र में उपाधियां लेने वाले विश्वविद्यालय के समस्त विद्यार्थियों एवं उनके परिजनों को शुभकामनाएं प्रेषित की। उन्होंने अपने संदेश में छात्रों द्वारा आयोजित किये जाने वाले सांस्तिक कार्यक्रम ‘एन.एच 65‘ तथा खेलकूद कार्यक्रम ‘‘युवर्धा‘‘ का जिक्र करते हुए लिखा कि डिग्री लेने वाले समस्त विद्यार्थी विश्व विद्यालय प्रांगण में व्यतीत किये गये समय को अवश्य याद रखेंगे। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जोधपुर के पास विधि क्षेत्र के शिक्षकों का श्रेष्ठ समूह है, जिन्होंने छात्रों को अध्ययन के दौरान मार्गदर्शन दिया। विधि के क्षेत्र में प्रवेश करने पर छात्रों को बधाई देते हुए तथा ‘‘रात कितनी भी लंबी हो, भोर होगी‘‘ कहावत का जिक्र करते हुए उन्होनें लिखा कि जीवन की यात्रा विधि के क्षेत्र का अध्ययन करते हुए एक सेमेस्टर से दूसरे सेमेस्टर में प्रवेश करने जैसी सीधी रेखा की तरह नहीं है। जीवनयात्रा न तो तेज दौड़ है, न ही मैराथन दौड़, यह यात्रा किसी और द्वारा तय की हुई नहीं है, यह स्वयं की अनूठी यात्रा है, जिसमें उत्थान एवं पतन दोनों का सामना करना होगा जिसमें अदम्य विश्वास से निरन्तर आगे बढ़ना होगा।
कुलपति ने प्रस्तुत किया वार्षिक प्रतिवेदन
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम सक्सेना ने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट पेश करते हुए अपने स्वागत भाषण में बताया कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जोधपुर अपनी स्थापना से आज दो दशक से अधिक समय से विधि क्षेत्र में अनुसंधान के लिये अग्रणी रहा है। विश्वविद्यालय के अनुसंधान केन्द्रों, कक्षा का माहौल, विभिन्न, व्याख्यानमालाओं, सम्मेलनों एवं गोलमेज कार्यक्रमों से हमारे छात्र विधि की विविध और समृद्ध शिक्षा को ग्रहण करते हैं, जो आने वाले समय में एक ब्लूप्रिंट की तरह उनके काम आयेगी। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जोधपुर अपने स्थापना के समय से ही लगातार अपने बहुआयामी प्रतिभाशाली छात्रों को विधि-क्षेत्र की श्रेष्ठतम शिक्षा प्रदान करता आ रहा हैं।
कुलसचिव श्रीमती वंदना सिंघवी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। संचालन ड. रश्मि माथुर ने किया।