एम्स जोधपुर में की गई रोबोटिक सर्जरी ने 32 वर्षीय महिला को किडनी के जटिल ट्यूमर से बचाया

32 वर्षीय महिला डुप्लेक्स कलेक्टिंग सिस्टम के दुर्लभ रोग से थी पीड़ित, जिसमें एक ही गुर्दे से निकलती हैं दो मूत्रवाहिनियां

जोधपुर। भारत के प्रीमियम चिकित्सा संस्थानों में से एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, जोधपुर (एम्स जोधपुर) ने जटिल किडनी ट्यूमर से पीड़ित 32 वर्षीय एक महिला का जीवन बचाने के लिए एक अनूठी रोबोट-असिस्टेड सर्जरी की। सर्जरी को एम्स जोधपुर के एक प्रसिद्ध मूत्र रोग विशेषज्ञ ​(यूरोलोजिस्ट)​ डॉ. गौतम राम चौधरी ने इंटुएटिव कंपनी के एक रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी सिस्टम के जरिये पूरा किया।

जोधपुर के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली यह रोगी ऐसी एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी, जिसे डुप्लेक्स कलेक्टिंग सिस्टम कहा जाता है, जिसमें एक किडनी से दो मूत्रवाहिनियां निकलती हैं। उसी गुर्दे में एक जटिल स्थान पर 5 सेमी के किडनी ट्यूमर होने का भी पता चला और उसके मामले में गुर्दे के बाकी हिस्सों को नुकसान पहुँचाए बिना ट्यूमर को हटाने के लिए जटिल सर्जरी करने की आवश्यकता थी। प्री-ऑपरेटिव वर्कअप करने के बाद, एम्स जोधपुर के डॉक्टरों ने मिनिमल इनवेसिव रोबोट-असिस्टेड सर्जरी का रास्ता अपनाने का फैसला किया।

इस पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व करने वाले डॉ गौतम राम चौधरी ने बताया कि ओपन सर्जरी में रोगी के शरीर पर लंबा कट लगाना होता है, जिससे दर्द भी बहुत होता है और निशान बने रहने की आशंका भी रहती है। साथ ही, संक्रमण की संभावना भी रहती है। इसके अलावा, लैप्रोस्कोपी के जरिये इस जटिल ट्यूमर को हटाने में अधिक समय लगता है। इसलिए, हमने पार्शल नेफरेक्टोमी करने के लिए दा विंची प्रणाली के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया, इस प्रक्रिया को केवल 22 मिनट के इस्किमिया समय के साथ पूरा किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। रोबोटिक- असिस्टेड सर्जरी ने हमें कैंसर वाले हिस्से को हटाने और मरीज के गुर्दे के अधिकांश सामान्य हिस्से को बचाने में मदद की। मरीज की पोस्ट-ऑपरेटिव रिकवरी बहुत अच्छी थी, और उसे 3 दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

यह एक जटिल मामला था, जिसमें किडनी में सात रेनल वीसल्स अंदर जा रही थीं और बाहर निकल रही थीं, जिससे चिकित्सकों के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती थी कि रोगी का प्रभावशाली तरीके से उपचार कैसे किया जाए। लेकिन रोबोटिक्स और सर्जनों की क्षमता के साथ, इस तरह के एक जटिल मामले को बहुत अच्छी तरह से सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

डॉ गौतम राम चौधरी ने बताया कि हमारे संस्थान में गुर्दे के कैंसर के लिए आंशिक नेफरेक्टोमी नियमित प्रक्रिया है, हालांकि शायद ही कभी हमें इस तरह के एक जटिल मामले का सामना करना पड़ा। ऐसे मामलों में हम रोबोट सिस्टम की मदद से ऐसे मामलों को आसानी से पूरा करने में सक्षम होते हैं।

32 वर्षीय रोगी श्रीमती सुनीता कुमारी (बदला हुआ नाम) ने अपनी तेज रिकवरी पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘मैं डॉ. गौतम और एम्स जोधपुर की पूरी टीम का शुक्रिया अदा करती हूं, जिन्होंने मुझे रोबोटिक सहायता के महत्व पर जागरूक किया और इस तरह मैं तेजी से रिकवरी की तरफ बढ़ रही हूं। रोबोटिक सर्जरी के बिना मैं इतनी जल्दी ठीक भी नहीं हो पाती। मैं इसे एक चमत्कार के रूप में महसूस करती हूं, क्योंकि मुझे सर्जरी के बाद कोई असुविधा नहीं हुई और 3 दिनों के बाद अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई।

एम्स जोधपुर ने नवीनतम रोबोट-असिस्टेड सर्जरी तकनीक, दा विंची को स्थापित किया है, जो बेहतर रोगी परिणामों के लिए सर्जिकल तकनीक की पेशकश कर सकती है और जटिल सर्जरी करने में सर्जनों की सहायता कर सकती है। इसकी सहायता से न केवल सर्जनों को जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं को अधिक सटीकता के साथ पूरा करने की सुविधा मिलती है, बल्कि ओपन सर्जरी और लैप्रोस्कोपी जैसी पारंपरिक तकनीकों की तुलना में उन्हें फ्लेक्सिबिलिटी और नियंत्रण भी हासिल होता है।

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