साधु-साध्वी भगवन्तों कीे निश्रा में निकला वरघोड़ा, कुशल वाटिका ट्रस्ट ने किया अभिनन्दन
बाडमेर। थार नगरी बाड़मेर की धन्यधरा पर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के हाथों जयपुर में दीक्षा ग्रहण करने जा रही श्रद्धा लुंकड का वरघोड़ा शनिवार को स्थानीय श्री जिनकान्तिसागरसूरी आराधना भवन से मुनि विवेकसागरजी म.सा., मुनि मेघरक्षितसागरजी म.सा. व बहन म.सा. डॉ. विधुत्प्रभा श्रीजी म.सा. साधु-साध्वी भगवन्तों आदि ठाणा के पावन निश्रा में दीक्षार्थी बहन मुमुक्षु श्रद्धा लुंकड का भव्य वर्षीदान का वरघोड़ा निकाला गया।
कुशल वाटिका मंत्री सम्पतराज बोथरा व कोषाघ्यक्ष बाबुलाल टी बोथरा ने बताया कि संसारिक मोह माया को त्याग संयम पथ अंगीकार करने जा रही दिक्षार्थी बहन श्रद्धा लुंकड का भव्य वरघोडा आराधना भवन से शनिवार को प्रात 8.30 बजे साध्वी साधु-साध्वी भगवन्तों की निश्रा में मांगलिक के साथ रवाना हुआ। जो शहर के मुख्य मार्गाे से होता हुआ जैन न्याति नोहरा पहुंचा, जहां उसके बाद वरघोडा धर्मसभा में परिर्वतित हो गया। सबसे आगे जैन ध्वज लिए घुडसवार ,बाडमेर बैण्ड की सुमधुर धुन के साथ ,ढोल वादक ,साध्वी मण्डल, श्रावक वर्ग, दिक्षार्थी का रथ, महिलाओ के साथ वरघोडे में मुमुक्षु रथ पर सवार होकर वर्षीदान कर रही थी वही श्रद्धालुगण दिक्षार्थी अमर रहे के जयघोष से उसका अभिवादन कर रहे थे। आगामी 11 दिसम्बर को दीक्षार्थी श्रद्धा लुंकड गुलाबी नगरी जयपुर में खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के हाथों से दीक्षा ग्रहण करेगी और बहन म.सा. विधुत्प्रभाश्री की शिष्या बनेगी।
यहां से गुजरा वरघोडा-वरघोडा श्री जिनकान्तिसागरसूरी आराधना भवन से रवाना होकर प्रतापजी पोल, दरियागंज, करमु जी की गली, जैन न्याति नोहरे की गली, पीपली चौक होता हुआ जैन न्याति नोहरा पहुॅचा जहां दिक्षार्थीे बहन श्रद्धा लुंकड ने वर्षीदान किया। रास्ते में जगह-जगह चावल की गहुंली केेे साथ लोगो ने पुष्पों की वर्षा कर वरघोड़े व साध्वी भगवंतो का स्वागत किया। कुशल वाटिका उपाध्यक्ष रतनलाल संखलेचा व प्रचारमंत्री केवलचन्द छाजेड़ ने बताया कि वरघोड़ा जैन न्याति नोहरा पहुंचने के बाद धर्मसभा में परिवर्तित हो गया। इसके पश्चात धर्मसभा में सर्वप्रथम मुनि विवेसागरजी के मुखरबिन्द से मांगलिक साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। सर्वप्रथम सुश्रावक डां. रणजीतमल जैन ने कहा कि बाड़मेर को खरतरगच्द की राजधानी कहते है मगर असली राजधानी तो मोकलसर है जहां से हमारे खरतरगच्छाधिपति, उपाध्याय व कई साधु-साध्वी भंगवन्तों ने दीक्षा ग्रहण कर खरतरगच्छ में बाड़मेर का नाम रोशन किया है। इसके बाद केएमपी की कंचन गुलेच्छा व केबीपी की बालिकाओं ने गीत प्रस्तुत किए। इसी उदबोधन के तहत जैठमल सिंघवी, वीरचन्द भंसाली, केवलचन्द छाजेड़, मुकेश अमन सहित कई वक्ताओं ने सम्बोधित किया। इसके पश्चात श्री जिनकुश्सलसूरी सेवाश्रम ट्रस्ट कुशल वाटिका, केयुप व केएमपी व केबीपी द्वारा दीक्षार्थी श्रद्धा लुंकड का अभिनन्दन किया गया। अभिनन्दन की कड़ी में कुशल वाटिका ट्रस्ट ने दीक्षार्थी श्रद्धा लुंकड के पिताश्री रमेश लूंकड़ का अभिनन्दन किया और दीक्षार्थी को अभिनन्दन भेंट किया और अभिनन्दन पत्र का पठन कुशल वाटिका उपाध्यक्ष रतनलाल संखलेचा द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. विधुत्प्रभा श्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन मोक्ष का प्रवेश द्वार है जिसके लिए श्रावक श्राविकाओं को संयम ग्रहण करना आवश्यक है। आज मुमुक्षु श्रद्धा लुंकड उसी पथ की ओर अग्रसर हो रही है। जो सहन करता है वही सिद्वपुरुष बनता है। उन्होने कहा कि हमारी प्रार्थना तभी पूर्ण होगी जब हमें परमात्मा को पाने की प्यास होगी। साध्वीजी ने दीक्षा का महत्व बताते हुए कहा कि धर्म चार प्रकार का होता है जो कि दान, शील, तप व भाव। इसी तरह कषाय का महत्व समझाते हुए कहा कि क्रोध, मान, माया लोभ एवं संज्ञा के बारे में कहा कि आहार, भय, मैथुन परिग्रह का जीवन में त्याग करने का कहा। इस अवसर पर दीक्षार्थी श्रद्धा लुंकड ने कहा कि वो आभारी है अपने माता पिता की उन्होने मुझे संयम पथ पर जाने की अनुमति सहर्ष प्रदान की। उन्होने कहा कि संसार में रहकर अपने आप को मोक्ष के पथ पर नही ले जा सकती थी इस लिए मैने ये मार्ग अपनाया है। इस अवसर पर कुशल वाटिका ट्रस्ट व अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद केयुप, अखिल भारतीय महिला परिषद केएमपी व अखिल भारतीय बालिका परिषद कंेबीपी की ओर से मुमुक्षु बहन श्रद्धा लुंकड का तिलक, माला, चुनड़ी, श्रीफल से अभिनन्दन करते हुए अभिनन्दन पत्र प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन मुकेश बोहरा अमन ने किया। कार्यक्रम के अन्त में कुशल वाटिका ट्रस्ट की और से उपाध्यक्ष द्वारकादास डोसी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।