मौन रक्षा-कवच है तो मुस्कान स्वागत-द्वार: राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ
जोधपुर। राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ ने कहा कि जीवन में मौन और मुस्कान दोनों का इस्तेमाल कीजिए। मौन अगर रक्षा कवच है तो मुस्कान स्वागत द्वार। मौन से अनेक तरह की समस्याओं को रोका जा सकता है और मुस्कान से हर मुश्किल को आसान बनाया जा सकता है। सोच समझकर बोलना एक कला है, पर मौन रहना साधना है। बोलना चाँदी है तो मौन रहना सोना।
कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में ‘हर समस्या का समाधान: मौन और मुस्कान’ विषय पर बोलते हुए राष्ट्र-संत ने कहा कि मौन से मन सूर्य की तरह चमकने लगता है। पहले चरण में जुबान, फिर मन भी चुप होने लगता है। संसार को देखने का नजरिया फिर कुछ अलग ही होने लग जाता है। उसे क्रोध, भय, चिंता, व्यग्रता नहीं रहती। हमें हर दिन कम से कम एक घण्टे तो मौन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। भोजन करते समय मौन रखने से कभी भी तनाव का माहौल नहीं बनता। क्रोध का माहौल बन जाने पर यदि हम उस समय 10 मिनट का मौन धारण कर लें तो क्रोध के घातक नुकसानों से बचा जा सकता है।
संतप्रवर ने मौन के साथ मुस्कान को भी जीवन के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि यह मनुष्य होने की पहली शर्त है कि हम हर समय मुस्कुराते रहें। जबकि एक पशु कभी मुस्कुरा नहीं सकता। अगर आप मुस्कुरा सकते है तो ही आईना देखें वरना नहीं। मुस्कान तो थके हुए के लिए विश्राम है, उदास के लिए दिन का प्रकाश है और कष्ट से मुक्त होने के लिए प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है। मुस्कुराहट वो गहना है, जिसे आप बिना खरीदें पहन सकते हैं और जब तक आपके पास यह गहना है, आपको सुन्दर दिखने के लिए किसी और चीज की जरूरत नहीं हैं।
उन्होंने गुड हैल्थ का सीक्रेट बताते हुए कहा कि सब रोगों की एक दवाई, हँसना सीखों ए मेरे भाई। हमें हर दिन 24 घण्टे मिलते हैं, हमें हर दिन कम से कम 24 बार तो खुलकर मुस्कुरा ही लेना चाहिए। यदि आप डॉक्टर है तो मुस्कुराते हुए मरीज का ईलाज करें, मरीज का आत्मविश्वास दुगुना हो जाएगा। दुकानदार है तो मुस्कान से ग्राहक का सम्मान करें, ग्राहक हमेशा आपसे ही माल खरीदेगा। घर में शाम को मुस्कुराते हुए ही प्रवेश करें, परिवार का माहौल अपने आप ही खुशी से भर जाएगा।