निजी अस्पताल के संचालक के पुत्र को डॉक्टर बनाने का झांसा देकर 50 लाख की ठगी
जोधपुर। एक निजी अस्पताल के संचालक के पुत्र को डॉक्टर बनाने के लिए साउथ में एडमिशन दिलाने के नाम पर शातिर ठग ने 50 लाख रुपए ऐंठ लिए। पहले 25 लाख के दो चेक दिए गए फिर 25 लाख की नगदी दी गई थी। घटना वर्ष 2014 से लेकर 2015 के बीच हुई। करीब सात साल बाद भी ना तो उनका पुत्र डॉक्टर बन पाया और ना ही बदमाश रकम लौटा रहा है। बदमाश ने पूर्व में रकम अदायगी के लिए चेक दिया था जिसका भी विवाद कोर्ट में चल रहा है। पीडि़त अस्पताल संचालक ने पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाई, तब बनाड़ पुलिस ने धोखाधड़ी में केस दर्ज किया। अब इसमें अनुसंधान आरंभ किया गया है। बदमाश युवक के पिता भी नामी डॉक्टर और मां एक निजी स्कूल की अध्यापिका है।
बनाड़ थानाधिकारी सीताराम खोजा ने बताया कि बनाड़ रोड स्थित निजी अस्पताल के संचालक डॉक्टर पृथ्वीसिंह की तरफ से धोखाधड़ी में केस दर्ज करवाया गया है। उनका आरोप है कि उनकी पहचान पूर्व में जालोरी गेट के अंदर रहने वाले निखिल निरंजन छंगाणी से हुई थी। उनका पुत्र भरत पालरोड स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ता था और निखिल भी उसके साथ था। उसके पिता डॉक्टर और मां निजी स्कूल में अध्यापिका थी। वर्ष 2014 में निखिल ने डॉक्टर पृथ्वीसिंह को उनके बेटे भरत को साउथ से डॉक्टरी की डिग्री करवाने को कहा था। तब बदले में 50 लाख रुपए मांगे थे। इस पर डॉक्टर पृथ्वीसिंह उसके बहकावे में आ गए और वर्ष 2014 में उसे 25 लाख रुपए चेक के जरिए दिए। इसमें कई तरह की प्रोसेसिंग फीस का हवाला दिया गया। बाद में वर्ष 2015 में आरोपी ने डॉक्टर से 25 लाख रुपए नगद लिए थे लेकिन इन छह-सात सालों में उनका पुत्र ना तो डॉक्टर बन पाया और ना ही आरोपी ने रकम लौटाई। थानाधिकारी खोजा ने बताया कि निखिल निरंजन छंगाणी ने कुछ और लोगों से भी ऐसे ही रकम ली थी। किसी का एडमिशन हो गया होगा। तब डॉक्टर उनके झांसे में आ गए। उसके खिलाफ मुंबई में भी इसी प्रकार का केस हो रखा है और वह इस साल जनवरी में ही जेल से जमानत पर रिहा हुआ था। पीडि़त डॉक्टर पृथ्वीसिंह को आरोपी ने एक चेक भी दिया था जिसका भी वाद कोर्ट में चल रहा है। घटना को लेकर अब बनाड़ पुलिस अनुसंधान में जुटी है।