विधायक लोढ़ा ने पशुपालकों की पीड़ा पर अपनी ही सरकार को घेरा
- कहा, सरकार घोषणा पत्र में पशुपालकों से किया वायदा निभाएं
शिवगंज/सिरोही (जयन्तिलाल दाणा)। सिरोही विधायक संयम लोढ़ा आमजन की समस्याओं को लेकर विधानसभा में खुलकर मुखर होते है, फिर चाहे अपनी सरकार की कमी ही क्यों नहीं हो उसे सदन में सामने लाने में जरा भी हिचक नहीं करते। सोमवार को विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के जरिए राज्य के पशुपालकों की पीड़ा को प्रमुखता से रखते हुए पशु बीमा सहित पशुपालकों के लिए लागू की गई योजनाएं जो पिछले समय से बंद पड़ी है, उन्हें यथाशीघ्र प्रारंभ करवाने तथा सरकार से अपने घोषणा पत्र में पशुपालकों से किए गए वायदे को निभाने की मांग की। विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से पशुओं का बीमा नहीं होने तथा अपने पशुओं को अन्य राज्यों में चराने जाने वाले पशुपालकों पर होने वाले हमलों पर विधायक लोढ़ा ने अपनी बात को प्रमुखता से रखा। विधायक लोढ़ा ने कहा कि राज्य में पशुओं के लिए लागू की गई बीमा योजनाएं दम तोड़ चुकी है। भामाशाह पशु बीमा वर्ष २०१८ से बंद पड़ी है। बहाना यह है कि प्रिमियम को लेकर भारत सरकार और राज्य सरकार के बीच बात नहीं बन रही है। विधायक लोढ़ा ने कहा कि पशुपालक का पशु जब मरता है या मरने की स्थिति में पहुंचता है तो वह फोन पर रोने लगता है। खेजडिया गांव का जिक्र करते हुए विधायक ने कहा कि गत दिनों उनके विधानसभा क्षेत्र के खेजडिया गांव के एक देवासी परिवार की ६८ भेडें मर गई। तब उस देवासी परिवार ही नहीं बल्कि पूरे समाज में शोक सा माहौल हो गया जैसे घर का कोई सदस्य मर गया हो। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उसे इस बात की चिंता है कि उसकी जो ६८ भेडें मरी है उसके बदले पशुपालन विभाग उस परिवार को पांच पैसे भी नहीं दिला पाएगा। विधायक ने कहा कि राज्य में पशुपालकों के लिए चलाई जाने वाली उष्ण विकास योजना, अविका कवच योजना, अविका पाल जीवन रक्षक योजना, जनश्री योजना, अविरक्षक योजना पिछले काफी समय से बंद पड़ी है।
घोषणा पत्र का वायदा निभाएं सरकार
विधायक लोढ़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जन घोषणा पत्र में वायदा किया था कि हम लघु एवं सीमांत काश्तकारों का मुफ्त बीमा करेंगे। आज राजस्थान के लाखों पशुपालक चिंता में है। सरकार को उस पशुपालक व काश्तकार की चिंता पर ध्यान देकर इन योजनाओं को पुनरू प्रारंभ करना चाहिए। विधायक लोढ़ा ने कहा कि वर्ष १९९२ में राज्य में ७ लाख ४६ हजार ऊंट हुआ करते थे, जो आज ८४ हजार ही रह गए है। विधायक लोढ़ा ने कहा कि यह सब हमारी गलत नीतियों का नतीजा है कि पशुपालकों को हम यह भरोसा नहीं दिला पा रहे है कि पशुपालन मुनाफे का धंधा है। यह अपने परिवार को आगे बढ़ाने का माध्यम हो सकता है तथा अपने बच्चों के भविष्य को बेहतर बना सकते है।
पशुपालकों पर होने वाले हमलों पर जताई चिंता
विधायक ने विधानसभा में कहा कि राज्य के हजारों की संख्या में पशुपालक अपने पशुओं को चराने के लिए पड़ौस के राज्यों की तरफ पलायन करते है। वहां आए दिन उन पर हमला, अपहरण, डकैती हो रही है। वहां उन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं मिल रही है। उन्होंने जबरा में फूलाराम देवासी के एवड पर हमला होने के अलावा एमपी के सेवलिया मगरा, बांदा एवं हरियाणा के फरीदाबाद व शिवपुर में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह राज्य के पशुपालकों को उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाए।
पशुपालन मंत्री ने दिलाया भरोसा
स्थगन प्रस्ताव के जरिए विधायक की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि यह सही है कि वर्ष २०१६ में प्रारंभ की गई पशु बीमा योजना वर्ष २०१८ से बंद है। इसमें प्रिमियम की दरों की सीमा को बढाने को लेकर दिक्कतें आ रही है। इसके लिए भारत सरकार को पत्र प्रेषित किया गया है। जिस पर केन्द्र सरकार ने अवगत करवाया है कि ईएफसी के अनुमोदन के पश्चात केबिनेट अनुमोदन एवं नवीन मार्गदर्शिका अनुमोदन अपेक्षित है इसके पश्चात कार्य प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ कर दी जाएगी। पशुपालकों पर हो रहे हमलों के जवाब में पशुपालन मंत्री ने कहा कि इस मामले में संबंधित राज्यों से संपर्क कर पशुपालकों को राहत दिलवाने की कार्रवाई की जाएगी।