एकता समाज की सबसे बड़ी ताकत: संत चंद्रप्रभ
सेवा भारती समाचार
जोधपुर। संत चन्द्रप्रभ ने कहा कि वह समाज श्रेष्ठï होता है जहां अमीर-गरीब में भेदभाव नहीं किया जाता। आखिर मुठ्ठी भर अमीरों के बल पर समाज को कब तक ढोया जाएगा। गरीबों को आगे आने का अवसर दिया जाना चाहिए। उन्होंने संतों से निवेदन किया कि वे अमीरों के महाराज बनने की बजाय गरीबों के महाराज बनें। सम्पन्न लोग तो जहां जाएंगे वहां सम्मान पा लेंगे, पर संतों का द्वार तो कम-से-कम ऐसा होना चाहिए जहां गरीबों को भी पूर्ण सम्मान मिले। याद रखें, अमीरों के बलबूते पांडाल बांधा तो जा सकता है पर उसे भरने के लिए तो आमजनता के बीच ही आना होगा। संतप्रवर कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में आयोजित फेसबुक लाइव प्रवचनमाला में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सामाजिक समन्वय के लिए दूसरे समाजों की खिल्ली न उड़ाने और एक-दूसरे के धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रमों में शरीक होने की प्रेरणा दी। बालोतरा शहर से पे्ररणा लेने की बात कहते हुए संत ने कहा कि वहां अमीर-गरीब घरों में शादियां एक खर्चे से होती है और शादी में 11 से ज्यादा आइटम कभी नहीं बनते। अमीरों को चाहिए कि वे ब्याह शादियों में फिजूलखर्ची को रोकें ताकि गरीब भी अपने बेटे-बेटियों की शादी सादगी से कर सकें। अगर एक अमीर आदमी अपने समाज के किसी गरीब परिवार को गोद ले ले तो समाज की सारी समस्याएं स्वत:दूर हो जाएगी। उन्होंने अमीरों को मंदिरों के साथ समाज के विद्यालय और चिकित्सालय भी बनाने की अपील की ताकि आम लोगों का जीवन-स्तर ऊपर उठ सके। उन्होंने कहा कि एकता समाज की सबसे बड़ी ताकत है। जब तक लकडिय़ां इकठ्ठी रहती है तब तक उसे पहलवान भी तोड़ नहीं पाता है और उनके अलग-अलग होते ही उनको बच्चा भी तोड़ देता है। जैसे हजार का नोट मुड़ जाए, गल जाए, मिट्टïी में मिल जाए और कुचल जाए तब भी उसकी कीमत में कोई अंतर नहीं आता, पर उसके दो टुकड़े हुए कि उसकी कीमत के भी टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं ठीक वैसे ही जिस जाति-धर्म के लोग संगठित रहेंगे उनकी सब जगह पूछ होगी नहीं तो उन्हें कोई नहीं पूछेगा। याद रखें, टूटे हुए लाखों लोगों पर एकत्रित मुठ्ठी भर लोग भारी पड़ते हैं।