कहानी रोशनी का जीव का पाठ किया
जोधपुर। अपनी कथा यात्रा का उल्लेख करते हुए मनोहरसिंह राठौड़ ने कहा कि विगत चार दशकों के कहानी लेखन में मैंने आम आदमी के जीवन और उससे जुड़ी विसंगतियों एवं विद्रूपताओं को रेखांकित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मेरा संबंध ग्राम्य जीवन से रहा है जहां आम आदमी के हिस्से में कई तरह की दुविधाएं आ जाती हैं जिन पर आम तौर पर कोई दृष्टिपात नहीं करता। राठौड़ ने कहा कि मैं तकनीक के क्षेत्र में सेवारत रहा जबकि साहित्य के क्षेत्र में अपनी सृजन धर्मिता से लगातार जुड़ाव बनाए रखा। मनोहर सिंह राठौड़ ने अपनी कहानी रोशनी का जीव का पाठ किया। वे गांधी भवन में अंतर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित लेखक से मिलिए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। अध्यक्षीय उद्बोधन में मोहनकृष्ण बोहरा ने कहा कि हर फूल की अपने सुगंध होती है वही उसकी पहचान भी बनती है।ठीक इसी तरह हर समर्थ रचनाकार की अपनी शैली होती है और उसका सजग पाठक उस शैली से उसकी पहचान पा लेता है। परिषद की महामंत्री डॉ पद्मजा शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के प्रश्नोत्तर सत्र में मुरलीधर वैष्णव, रतन सिंह चांपावत, डॉ अशोक माथुर, सत्यदेव संवितेंद्र, श्याम गुप्ता शांत ने मनोहर सिंह की कहानी तथा व्याख्यान पर टिप्पणी की तथा कई प्रश्न पूछे जिनके जवाब मनोहरसिंह राठौड़ ने विस्तार से दिए। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मां सरस्वती को अतिथियों ने पुष्प अर्पित किए। डॉ बीएस जैन ने मुख्य वक्ता को गांधी डायरी भेंट की। धन्यवाद ज्ञापन कवयित्री प्रगति गुप्ता ने किया। युवा कवयित्री मधुर परिहार ने कार्यक्रम का सुंदर संचालन किया।कार्यक्रम में प्रो रामबक्ष जाट, हबीब कैफी, डॉ आईदानसिंह भाटी, डॉ हरीदास व्यास, हरिप्रकाश राठी, माधव राठौड़, कमलेश तिवारी, गिरधर गोपाल सिंह भाटी, तारा प्रजापत, शैलेंद्र ढड्ढा, रेणु वर्मा, संतोष चौधरी, दशरथ सोलंकी, डॉ वीणा चूंडावत, शिवानी, मंजु शर्मा, अशफाक़ अहमद फौजदार, किसनाराम, अशोक चौधरी, प्रतीक भारत, एमएल जांगिड़ सहित कई साहित्यकार, साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।