लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर भव्य समारोह, प्रधानमंत्री मोदी ने किया नारी शक्ति का सम्मान

भोपाल। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और मध्य प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में भोपाल के जम्बूरी मैदान में शनिवार को लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत मां भारती और भारत की नारी शक्ति को प्रणाम कर की। उन्होंने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की भक्ति, सुशासन और सामाजिक सुधार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को नमन करते हुए कहा, “माता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारी नारी शक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं।”

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में महिला सशक्तिकरण, सुशासन और समावेशी विकास के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा, “नागरिक देवो भव” – यह हमारे शासन का मंत्र है। उन्होंने बताया कि आज देशभर में 10 करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं और सरकार उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सक्रिय रूप से सहायता कर रही है।

प्रदर्शनी बनी मुख्य आकर्षण
समारोह में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन और योगदान पर आधारित एक विस्तृत प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें उनके प्रारंभिक जीवन, शासन शैली, कल्याणकारी कार्यों और वस्त्र उद्योग में योगदान को चार खंडों में दर्शाया गया। प्रधानमंत्री ने स्वयं महेश्वरी साड़ियों की छठी पीढ़ी की बुनकर हेमलता जी से बातचीत की और प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी
समारोह में लोकमाता की स्मृति में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया। इस पहल का उद्देश्य उनके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है।

लघु फिल्म और सांस्कृतिक श्रद्धांजलि
इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा निर्मित लघु फिल्म ‘अहिल्याबाई होल्कर: संस्कृति की संरक्षिका, शासन की शिल्पकार’ का प्रदर्शन किया गया, जो उनके जीवन, दृष्टिकोण और सुधारों की सिनेमाई प्रस्तुति थी।

विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और पुरस्कार वितरण
समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश की अनेक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिनमें इंदौर मेट्रो सेवा का उद्घाटन तथा दतिया और सतना से हवाई सेवाओं की शुरुआत प्रमुख रही। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री ने जनजातीय और पारंपरिक कलाओं में योगदान हेतु डॉ. जयमती कश्यप को ‘देवी अहिल्याबाई राष्ट्रीय पुरस्कार’ प्रदान किया।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा, “देवी अहिल्याबाई इस विचार की प्रतीक हैं कि इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है।” उन्होंने कहा कि लोकमाता का जीवन आज भी 140 करोड़ भारतीयों को प्रेरणा देता है।

यह समारोह न केवल लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की अमूल्य विरासत को श्रद्धांजलि था, बल्कि भारत की नारी शक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि के उत्सव का प्रतीक भी बना।

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