प्रिय शिक्षक से मिल भाव विभोर हुये उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति चित्तौड़गढ़ में अपने स्कूल टीचर के घर पहुंचे, चरण छूकर आशीर्वाद लिया
कहा गुरु के दर्शन कर धन्य हो गया
चित्तौड़गढ़। उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार जगदीप धनखड़ आज अपने विद्यालय – सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ पहुंचे। उन्होंने सन 1962 से 1967 तक अपनी शिक्षा यहीं से प्राप्त की थी।
हेलीकॉप्टर से चित्तौड़गढ़ पहुंचने के बाद माननीय उपराष्ट्रपति जी पहले शास्त्रीनगर, चित्तौड़गढ़ में अपने स्कूल टीचर श्री हरपाल सिंह राठी कर घर पहुंचे। श्री राठी उन्हें सैनिक स्कूल में केमिस्ट्री पढ़ाते थे। अपने प्रिय शिक्षक से लंबे समय बाद मिलने पर उपराष्ट्रपति जी भाव विभोर हो गए, उन्होंने अपने गुरु के चरण छूकर आशीर्वाद लिया।
श्री राठी ने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में सन 1962 से पढ़ाना प्रारंभ किया था और 1996 में सेवानिवृत्त हुए। उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें 1994 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वे स्कूल के सांगा हाउस के ‘हाउस मास्टर’ भी थे जहाँ श्री जगदीप धनखड़ रहा करते थे। इसी कारण दोनों के बीच अत्यंत आत्मीय संबंध थे।
उन दिनों को याद करते हुए श्री हरपाल जी ने कहा “कुछ छात्र ऐसे होते हैं जो पहली ही नजर में आपके दिल और दिमाग में बैठ जाते हैं, जगदीप धनखड़ ऐसे ही छात्र थे… हर क्षेत्र में विलक्षण और अग्रणी, उतने ही विनम्र भी। अंग्रेजी पर बहुत अच्छी पकड़ थी, जब वे छठी क्लास में स्कूल आये थे तो साथ मे पांच डिक्शनरियाँ लेकर आये थे… ऐसी लगन मैंने किसी और छात्र में नहीं देखी।”
उपराष्ट्रपति जी के स्कूल के दिनों के बारे में बात करते हुए उनके शिक्षक श्री राठी ने बताया कि वो स्कूल के हॉकी और फुटबॉल के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से एक थे। उन्होंने कहा कि “मुझे स्पष्ट याद है, जगदीप की परफॉर्मेंस की बदौलत ही सांगा हाउस ने 1967 में ओवरऑल चैंपियनशिप जीती थी।”
श्री हरपाल जी ने आगे बताया कि “जगदीप की हैंडराइटिंग बहुत अच्छी थी, और वे स्कूल की मैगज़ीन में नियमित लिखते थे। उनकी अंग्रेजी हैंडराइटिंग अभी भी स्कूल के रिकार्ड्स में सुरक्षित रखी है।”