पर्युषण पर्व के सातवें दिन कुशल वाटिका में हजारों श्रद्वालुओ ने किए दर्शन

गिरनार भक्त मण्डल ने शंखनाद की धुन के साथ किया भगवान का पक्षाल व केशर पूजा

पर्युषण पर्व के दौरान दुल्हन की तरह सजा कुशल वाटिका

बाडमेर। बाडमेर-अहमदाबाद रोड पर स्थित कुशल वाटिका में विश्व का अद्वितीय राजहंस मन्दिर में पर्युषण पर्व के सातवें दिन शनिवार को हजारों श्रद्वालुओं ने दर्शन कर पूजा अर्चना की।

कुशल वाटिका ट्रस्ट के उपाध्यक्ष रतनलाल संखलेचा व कोषाध्यक्ष बाबुलाल टी बोथरा ने बताया कि शनिवार को बाडमेर शहर के समीप कुशल वाटिका प्रांगण में स्थित जिन मन्दिर में पर्युषण पर्व के सातवें दिन शनिवार को कुशल वाटिका पहुंच कर कुशल वाटिका संरक्षक व राजस्थान गौ सेवा अध्यक्ष व बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन सहित हजारों जैन धर्मवलम्बियों ने दर्शन किए। जिसमें बाडमेर शहर सहित आस-पास के अन्य गावों से जैन बन्धुओं ने पहुंच कर पूजा अर्चना की। जहां कुशल वाटिका में विराजमान मूलनायक मुनिसुव्रत स्वामी भगवान मन्दिर, दादावाडी, नवग्रह मन्दिर, गुरू मन्दिर, देवी-देवताओ मन्दिर आदि मन्दिरो के दर्शन, पूजा, अर्चना आदि की गई। बोथरा ने बताया कि शनिवार को कुशल वाटिका में प्रातः 07.00 बजेे गिरनार भक्त मण्डल द्वारा शंखनाद व ढोल की थाप लय व सुर के साथ गीत के माध्यम से भगवान का पक्षाल किया गया और विधि व श्लोक के साथ केशर पूजा की गई। पर्युषण पर्व के दौरान भगवान के पक्षाल का लाभ बाबुलाल रिखबदास बोथरा परिवार बामणोर वाले, केशर पूजा का लाभ खेतमल मूलचन्द मालू परिवार कगाउ वाले व भगवान की आरती व मंगल दीपक का लाभ सुरेशकुमार मोहनलाल भंसाली परिवार द्वारा लिया गया। श्रद्वालुओं ने केशर पूजा कर मन को शान्ति जैसा आनन्द महसुस कर रहे थे जैसे पर्युषण पर्व होते हुए हजारों भक्त पहंुचे कुशल वाटिका। जहां कुशल वाटिका ट्रस्ट मण्डल व कुशल वाटिका मित्र मण्डल की और से संघ प्रभावना की गई। कुशल वाटिका पधारे विधायक जैन ने कहा कि पर्युषण पर्व हमें आत्मशुद्धि का अवसर देता है। इसलिए पर्यूषण पर्व में हम आत्मशुद्धि के प्रत्येक उपायों को अपनाएं। जैन ने कहा कि अगर आत्मशुद्धि करनी है तो शरीर को तपाना पड़ेगा। अर्थात नियम, उपवास, तप करने होंगे। पर्यूषण पर्व आत्मा को पवित्र बनाने का अवसर है। कई ऐसे कार्य हैं जिनसे शरीर व आत्मा दोनों दूषित होती हैं। जैन ने कहा कि गन्ने में जिस स्थान पर गांठ होती है वहां रस नहीं होता है। उसी प्रकार जब आपसी संबंधों में गांठ पड़ जाती है तो वहां आपसी संबंध भी नीरस हो जाते हैं। वहां आपसी प्रेम भाईचारा समझदारी सभी समाप्त हो जाता है। इसलिए जीवन में आपसी संबंधों में गांठ नहीं पड़ने दें। यदि कोई मनमुटाव है तो उसे चर्चा कर दूर करें। ज्ञानीजन का मत है कि जहां गांठ है वहां प्रेम नहीं है। इसलिए पर्यूषण पर्व में मन की जो गांठ है उसे खोलें तथा क्षमापना के गुण को अपनाएं।
पर्युषण पर्व के सातवें दिन रंग-बिरंगी रोशनी से सजा कुशल वाटिका व सजी भव्य आंगी
कुशल वाटिका में विश्व का द्वितीय राजहंस मन्दिर में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के सातवें दिन शनिवार को रंग बिरंगी रोशनी व आंगी सजाई गई। बाडमेर शहर के समीप कुशल वाटिका प्रांगण में पर्युषण पर्व के दौरान कुशल वाटिका में मुनिसुव्रत स्वामी भगवान मन्दिर, दादावाडी, नवग्रह मन्दिर, गुरू मन्दिर, देवी-देवताओ के आदि मन्दिरो के को दुधिया रोशनी व तोरण द्वार द्वारा सजाया गया व जिन मन्दिर में दर्शन, पूजा, आदि का कार्यक्रम हुआ। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के सातवें दिन कुशल वाटिका को भव्य तोरण द्वार व लाइटिंग से सजाया गया व रात्रि में भगवान मुनिसुव्रत स्वामी की भव्य आंगी सजायी गयी और रात्रि में आरती की गई। पर्युषण पर्व के दौरान कुशल वाटिका ट्रस्ट मण्डल, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद, केयुप, अखिल भारतीय महिला परिषद केएमपी व कुशल वाटिका मित्र मण्डल, गिरनार भक्त मण्डल व कई भक्तगण उपस्थित थे।

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