उज्जवला योजना के 80 प्रतिशत उपभोक्ता नहीं ले रहे गैस सिलेंडर
मजबूरी में चुल्हे के धुएं में खाना बन रहा
1 साल से नही मिल रही सब्सिडि
गैस की महंगाई से तंग आकर चुल्हा जलाने को मजबूर।
रिपोर्टर सिकन्दर शेख
जैसलमेर। केंद्र सरकार द्वारा बीपीएल व जरूरतमंदों के लिए उज्जवला गैस योजना शुरू की थी जो आज बंद होने के कगार पर दिखाई दे रही है। बढ़ती मंहगाई गैस के दामों में वृद्धि व सब्सिडी नहीं मिलने से गरीब लोग वापस लकड़ी के चूल्हों की ओर लौट आए हैं।
पोकरण में प्रधानमंत्री की उज्ज्वला योजना की बुरी गत है। गरीब लोग लकड़ी के चूल्हे जलाने पर मजबूर हैं। जिन लोगों ने उज्जवला योजना के तहत कनेक्शन प्राप्त किए थे उनमें से 80त्न लोग गैस सिलेंडर रिफिल ही नहीं करा रहे हैं। इस बारे में पोकरण गैस एजेंसी संचालक ने बताया कि सिलेंडर की कीमत में 50 से 60त्न वृद्घि होना,मिलने वाली सब्सिडी में 3 गुना गिरावट आना, तथा सबसे बड़ा कारण पिछले डेढ़ साल से कोरोना माहामारी के कारण काम धंधे बंद होना को कारण माना जा रहा हैं। और देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति बहुत ही खराब है यहां के लोगों द्वारा गैस बुकिंग लगभग करवा ही नहीं रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के परिवार पहले की भांति ही लकडिय़ां जलाकर चूल्हे पर पर अपना खाना पका रहे हैं। पोकरण गैस एजेंसी संचालक सुषमा विश्नोई ने बताया कि पोकरण गैस एजेंसी के द्वारा उज्जवला योजना के तहत 9700 कनेक्शन दिए हुए हैं जिनमें से 20त्न लोग ही गैस रिफिल कराते हैं तथा 80त्न लोगों ने तो गैस रिफिल कराना बंद कर दिया है। कोरोना काल में 14 महीने से सब्सिडी बंद होने पर गैस सिलेंडर के भाव 523 से बढक़र 813 रुपये होने से कई उज्जवला योजना के तहत कनेक्शन लेने वाले लोगों ने सिलेंडर लेना बंद कर दिया है, इसका मुख्य कारण महंगाई की मार ,पहले सिलेंडर 523 मिलता था अब वो सिलेंडर बहुत ज्यादा मंहगा होने से लोगों ने गैस रिफलिंग कराना बंद कर दिया।
सुषमा विश्नोई संचालक पोकरण गैस सर्विस : उज्जवला योजना के तहत जिनको कनेक्शन मिले थे उनसे जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस कोरोनाकाल मे हम गरीब लोगों के पास पैसा नहीं है कि खाना भी खाया जाए फिर गैस भी इतनी मंहगी हो गई है कि गैस रिफिलिंग नहीं करवाई जा सकती इसलिए मजबूरी में वापस चूल्हों की ओर लौट आए हैं।