आफरी में मनाया वन महोत्सव
जोधपुर। शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) जोधपुर में वन महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर आफरी निदेशक एमआर बालोच सहित आफरी अधिकारियों ने कोविड-19 के तहत नियमों का पालन करते हुए परिसर में जामुन के पौधों का रोपण किया। आफरी निदेशक ने वनों की महत्ता बताते हुए हर स्तर पर एवं प्रत्येक नागरिक को पौधे लगाने एवं उनकी सार संभाल करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में आफरी के समूह समन्वयक (शोध), डॉ. जी. सिंह एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. संगीता सिंह, डॉ. महेश्वर हेगडे, डॉ. भावना शर्मा, डॉ. एनके बोहरा एवं मुख्य तकनीकी अधिकारी, डॉ. बिलास सिंह, ए. दुरई एवं शैलेन्द्र सिंह उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन एवं धरती के बढ़ते तापमान के मद्देनजर वनों का महत्व और भी बढ़ गया है। देश में वृक्षारोपण की आवश्यकता के मद्देनजर रखते हुऐ जुलाई 1950 में इसे राष्ट्ीय त्यौहार के रूप में प्रथम वन महोत्सव मनाने का निर्णय लिया गया जिसका उद्घाटन डॉ. केएम मुन्शी ने किया था। यद्यपि प्राचीनकाल से ही भारत में वेद, पुराणों आदि धर्मग्रन्थों में वृक्षों एवं मानव के सम्बन्धों की व्याख्या की जाती रही है लेकिन आज के युग में तेजी से बढ़ती जनसंख्या एवं पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती भयावहता से मानव जीवन के अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे परिदृश्य में वन महोत्सव को एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाने एवं सभी धर्मोत्र, जातियों एवं वर्गों को एक साथ मिलकर मनाने की जरूरत है।