धर्म को आचरण में उतारना आवश्यक : साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा
धर्म एक दीपक के समान है
नागौर। जयमल जैन पौषधशाला में सोमवार को साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि धर्म सर्वोत्कृष्ट मंगल है। धर्म का मर्म जानते हुए उसे आचरण में उतारना आवश्यक है। संसार सागर में फंसे हुए प्राणियों के लिए धर्म एक द्वीप रूपी सहारा है। धर्म एक दीपक के समान है। जो आत्मा के गुणों को प्रकाशित करता है। वस्तु का स्वभाव ही धर्म होता है।
साध्वी ने धर्म की शरण को सच्ची शरण बताते हुए कहा कि जो स्वयं अस्थिर एवं अशरणभूत होते हैं, वे कभी किसी को शरण नहीं दे सकते। þमनुष्य की यह भ्रांति है कि दल-बल आदि उसकी रक्षा करेंगे। लेकिन संकटकाल में अक्सर देखा जाता है कि कोई भी शरण नहीं देता। जबकि धर्म डूबते हुए प्राणी को तिरा देता है। जो व्यक्ति धर्म का आलंबन लेता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। यह अंतरचेतना को जाग्रत करता है और कर्मों की निर्जरा करता है। धर्म आत्मा का सच्चा मित्र है। कर्म रूपी शत्रु को परास्त करने का एकमात्र शस्त्र धर्म ही है। प्रवचन और जय-जाप की प्रभावना तथा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी चंचलमल, रूपेश पींचा परिवार रहें। संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर जयेश पींचा, दीपक सैनी, विजया ललवानी एवं खुशबू सिंघवी ने दिए। सूरत से तरुण पींचा एवं कालू ग्राम से राजेश सिंघवी साध्वी वृंद के दर्शनार्थ पधारें। जिनका संघ द्वारा सम्मान किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ कमलचंद, हर्षित ललवानी परिवार ने लिया। इस मौके पर सुभाष ललवानी, अमीचंद सुराणा, विनोद ललवानी, नरपतचंद ललवानी आदि उपस्थित थे।