दल बदलना लोकतंत्र के लिए कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक
सेवा भारती समाचार
जोधपुर। लोकतंत्र का मुख्य स्तंभ चुनाव प्रणाली है तो वोट उसका असली प्राण है। यह विचार संत कमलमुनि कमलेश ने नेहरू पार्क महावीर भवन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार और पार्टी से असंतोष हो तो त्यागपत्र देकर जिस दल में जाना हो उसके लिए नया जनादेश प्राप्त कर आदर्श प्रस्तुत करें। चुनाव आयोग को दलबदल करने वाले को पुन: जनता के बीच जाकर नया जनादेश लेने का आदेश जारी करके लोकतंत्र को बचाना चाहिए। जैन संत ने स्पष्ट कहा कि कोई भी दल इस रोग से अछूता नहीं है, दल बदलना लोकतंत्र के लिए कैंसर से भी खतरनाक है खुलेआम भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के रक्षक ही भक्षक बन जाए, बाड़ ही खेत को खाने लगे इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है वही देश के सबसे बड़े शत्रु हैं। मुनि कमलेश ने कहा कि जनता ने विश्वास से आपको जिताया और आप विचार बदलते हैं तो मतदाताओं का अपमान करते हैं। जनादेश का अपमान परमात्मा का अपमान करने के समान है। लोकसभा में विधेयक पास करके इस घातक की बीमारी को सदा के लिए समाप्त कर लोकतंत्र प्रणाली को मजबूत करने में अपना योगदान देना चाहिए। चुनाव जीतकर जनता के विश्वास पर खरा न उतरे तो वापस बुलाने का अधिकार भी जनता को मिलना चाहिए।